गन्ना की फसल ज्यादा पानी की खपत करने का मिथक टूट गया है. दरअसल ताजा शोध में सामने आया है कि मक्का, चावल और गेहूं जैसी फसलों की तुलना में गन्ना की फसल अधिक कुशलता से पानी का इस्तेमाल करती है. ICAR-IISR और ISMA की शोध रिपोर्ट में बताया गया है कि गन्ना जितना पानी खपत करके उत्पादन करता है उतना दूसरी फसलें उत्पादन नहीं दे पाती हैं.
गन्ना की फसल सही तरीके से सिंचाई जल इस्तेमाल करने की खूबी रखती है. गन्ना की फसल प्रति घन मीटर पानी इस्तेमाल कर लगभग 7.14 किलोग्राम गन्ना पैदा करती है. इसके मुकाबले में मक्का, चावल और गेहूं की उपज काफी कम है. शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि गन्ने से 1 लीटर इथेनॉल बनाने के लिए लगभग 2 किलोलीटर (KL) पानी की जरूरत होती है, जबकि अन्य फसलों के लिए 3 किलोलीटर पानी की जरूरत होती है.
भारतीय चीनी और जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (ISMA) और गन्ना अनुसंधान संस्थान ICAR-IISR ने गन्ना की फसल में अधिक पानी की खपत को लेकर दूसरी फसलों के साथ शोध किया है. इस्मा के अनुसार दो वर्षीय शोध की शुरुआत ICAR-IISR के 6 केंद्रों में पिछले साल की गई थी. नकदी फसल गन्ना में पानी का कुशलतापूर्वक इस्तेमाल करने में अभूतपूर्व श्रेष्ठता है, जो इसे भारत भर में उगाई जाने वाली सभी प्रमुख फसलों में सबसे अधिक जल कुशल फसल बनाती है.
ISMA ने कहा कि IISR ने अध्ययन की रिपोर्ट में गन्ने की खेती में जल उपयोग दक्षता में सुधार और जल इस्तेमाल को किफायती बनाना है. शोध का मुख्य उद्देश्य गन्ने के मुकाबले विभिन्न फसलों की सिंचाई जल आवश्यकताओं का आकलन करना है. ISMA ने कहा कि वह पानी बचत कृषि तकनीकों का मूल्यांकन भी करना चाहता है. यह शोध IISR के 6 शोध केंद्रों और तमिलनाडु के कोयंबटूर में गन्ना प्रजनन संस्थान में किया जा रहा है.
ISMA के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने कहा कि इस शोध के शुरुआती रिजल्ट पानी खपत और इथेनॉल उत्पादन में गन्ने की दक्षता को स्पष्ट रूप से खुलासा करते हैं. ये रिजल्ट जल संरक्षण और उत्पादकता के नजरिए से गन्ने की खेती में फायदा पहुंचाने में मददगार हैं. उन्होंने कहा कि दो साल के शोध प्रोजेक्ट में प्रत्येक केंद्र पर दो पौधों की फसलों और गन्ने की फसल का आकलन करना शामिल है.
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