अक्टूबर से शुरू हुए नए सीजन में चीनी उत्पादन करीब 11 फीसदी गिर गया है. ऐसे में चीनी की कीमतों को नीचे बनाए रखना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. बीते 4 माह में चीनी की औसत कीमत करीब 3 रुपये प्रतिकिलो तक बढ़ चुकी है. जबकि, अधिकतम कीमत में 10 रुपये तक बढ़ोत्तरी हुई है. त्योहारी सीजन बीतने के बाद भी कीमतों में इजाफे की आशंका ने चिंता बढ़ा रखी है.
नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज (NFCSF) ने शुक्रवार को कहा कि चालू सीजन 1 अक्टूबर से शुरू होने के बाद से भारतीय मिलों ने 4.32 मिलियन मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन किया है, जो सालाना आधार पर 10.7% कम है. अक्टूबर-नवंबर के चीनी उत्पादन महज 4.32 मिलियन टन हुआ है. जबकि, बीते साल की इसी अवधि में उत्पादन आंकड़ा 4.83 मिलियन टन दर्ज किया गया था.
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के फेडरेशन (NFCSF) के अध्यक्ष जय प्रकाश दांडेगांवकर ने कहा कि कीमतों को लेकर किसानों के साथ विवाद के कारण पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र और पड़ोसी राज्य कर्नाटक में गन्ना पेराई शुरू होने में देरी हुई है, जिसका असर चीनी उत्पादन में गिरावट के रूप में दिखा है. इसके अलावा अगस्त और सितंबर में कम बारिश भी उत्पादन घटने की वजह बनी है.
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दाल, चावल, गेहूं, टमाटर और प्याज के बाद चीनी के दाम बढ़ रहे हैं. सितंबर में चीनी की कीमत में 3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी. सितंबर में चीनी की कीमतें बढ़कर 37,760 रुपये (454.80 डॉलर) प्रति टन हो गईं, जो अक्टूबर 2017 के बाद सबसे अधिक है. जबकि, नवंबर माह तक चीनी की औसत कीमत 3 रुपये प्रति किलो से भी ज्यादा बढ़ चुकी है. नवंबर की खाद्य महंगाई दर में बढ़ोत्तरी की आशंका है.
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