आप चाय या कॉफी में जिस स्वीटनर का इस्तेमाल करते हैं, वह चीनी से बनता है. अगर हाल में इसकी खरीद की हो तो आपको पता होगा कि इसके दाम कितने बढ़ गए हैं. मौजूदा समय में स्वीटनर की महंगाई में 11 साल की रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखी जा रही है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि पूरी दुनिया में चीनी के दाम में तेजी है. दाम में बढ़ोतरी की वजह ये भी है कि दुनिया में चीनी की सप्लाई कम हुई है क्योंकि गन्ने पर संकट पर है. ऐसे में एक अनाज चीनी का बेहतर विकल्प बनकर उभरा है. ये अनाज है मक्का जो चीनी को सस्ता करने में पूरी मदद करेगा.
दरअसल, मक्का सीधे तौर पर चीनी का विकल्प नहीं बनेगा बल्कि वह इसके लिए नया रास्ता तैयार करेगा. कैसे, आइए जानते हैं. ब्राजील में मक्के का उत्पादन दिनों दिन बढ़ रहा है. इसकी वजह से इथेनॉल बनाने में मक्के का प्रयोग ज्यादा हो रहा है. लैटिन अमेरिका में इथेनॉल का इस्तेमाल कारों को चलाने में होता है, इसलिए मक्के से इथेनॉल बनाने पर जोर है. ऐसे में ब्राजील की डिस्टीलरी अब महंगे गन्ने से इथेनॉल न बनाकर सस्ते मक्के से इथेनॉल बना रही हैं. इससे उनकी कमाई बढ़ रही है.
दूसरी तरफ इस साल गन्ने की फसल पूरी दुनिया में प्रभावित हुई है. खासकर भारत में मौसम की मार इस फसल पर अधिक पड़ी है जिससे पैदावार गिरने की आशंका है. इसे देखते हुए सरकार ने चीनी पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी हैं. इसका इथेनॉल बनाने में भी कम प्रयोग हो रहा है. इसे देखते हुए सरकार ने चीनी के विकल्प के तौर पर मक्के का उपयोग बढ़ाया है. और भी कई अनाज से इथेनॉल बनाया जा रहा है, लेकिन उनमें मक्का सबसे प्रमुख है.
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विदेशों में बात करें तो ब्राजील में मक्के का सबसे अधिक प्रयोग इथेनॉल बनाने में हो रहा है. ब्राजील का स्थान इथेनॉल बनाने में अमेरिका के बाद आता है जहां मक्के का भरपूर प्रयोग हो रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्राजील में अभी एक चौथाई से भी अधिक ईंधन के रूप में इस्तेमाल हो रहा है जबकि पांच साल पहले यह शून्य हुआ करता था. रिपोर्ट कहती है कि 2033 तक ब्राजील में इथेनॉल का उपयोग ईंधन की कुल खपत का एक तिहाई तक पहुंच जाएगा.
दूसरी ओर, चीनी और उसके बाइप्रोडक्ट से इथेनॉल बनाने का काम कम हो रहा है क्योंकि गन्ना पेराई और उससे इथेनॉल बनाना महंगा काम है. इसकी तुलना में मक्का सस्ता पड़ता है और इसकी खेती भी कम पानी लेती है. पानी की कम खपत को देखते हुए मक्के की खेती पर जोर दिया जा रहा है. साथ ही इथेनॉल में बढ़ावा मिल रहा है. इससे आने वाले समय में चीनी के लिए गन्ने का इस्तेमाल बढ़ेगा. इस तरह मार्केट में चीनी की सप्लाई दुरुस्त होगी और दाम भी गिरेंगे.
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