पंजाब सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए पूरी तरह से तैयारी कर ली है. इस बार पंजाब में पराली प्रबंधन के लिए किसानों को कई तरह के उपकरण मुहैया कराए जाएंगे, जिसमें सुपर सीडर और हैप्पी सीडर का नाम शामिल है. इसके अलावा पंजाब कृषि विभाग इस बार किसानों को 1,100 ट्रैक्टर भी बांटेगा, ताकि धान कटाई के बाद पराली को बेहतर तरीके से प्रबंधित किया जा सके. सरकार को उम्मीद है कि उसकी इस कोशिश से अक्टूबर-नवबंर महीने में पारली से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण से राहत मिलेगी.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भले ही राज्य में करीब 5 लाख ट्रैक्टर हैं, लेकिन इनमें से 60 फीसदी हैप्पी सीडर और सुपर सीडर जैसी मशीनें नहीं चला सकते. ज्यादातर ट्रैक्टर 35 से 40 हॉर्सपावर (एचपी) के होते हैं, जबकि पराली प्रबंधन मशीनों के लिए 50 से 60 एचपी वाले ट्रैक्टर की जरूरत होती है. यही वजह है कि कृषि विभाग राज्य में किसानों को पराली प्रबंधन मशीनें मुहैया करा रहा है, लेकिन ट्रैक्टरों का किराया अधिक होने की समस्या है. किसानों को इन्हें किराए पर लेना पड़ता है, क्योंकि सभी पराली प्रबंधन मशीनें ट्रैक्टर पर लगती हैं.
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कृषि निदेशक डॉ. जसवंत सिंह ने बताया कि यह पहली बार है कि राज्य में किसानों के स्वयं सहायता समूहों, पंचायतों और सहकारी समितियों के लिए एक सीजन में ट्रैक्टर उपलब्ध कराए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह केंद्र प्रायोजित सीआरएम योजना का हिस्सा होगा. कई किसानों के पास छोटे ट्रैक्टर हैं जो पराली से निपटने के लिए आधुनिक उपकरणों के अनुकूल नहीं हैं. किसान अब किसान समूहों से इन ट्रैक्टरों को किराए पर ले सकते हैं. लेकिन ये बैंक-एंडेड सब्सिडी के ज़रिए होंगे.
उदाहरण के लिए, सुपर सीडर के लिए ज़्यादा हॉर्सपावर वाले ट्रैक्टर की ज़रूरत होती है, लेकिन कई किसान सुपर सीडर की ओर आकर्षित होते हैं, क्योंकि वे इसे खेतों की जुताई के लिए रोटावेटर के तौर पर भी इस्तेमाल करना चाहते हैं. साथ ही, किसानों को लगता है कि सुपर सीडर के इस्तेमाल के बाद खेत बेहतर दिखते हैं. हालांकि, जो लोग पहले जीरो टिलेज का इस्तेमाल कर रहे थे, वे अभी भी हैप्पी सीडर से संतुष्ट हैं.
पटियाला के अजनाला के किसान इंदरबीर सिंह ने कहा कि ज़्यादातर किसानों के पास 30-35 एचपी के ट्रैक्टर हैं और इसलिए वे हैप्पी सीडर या सुपर सीडर का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं, क्योंकि हैप्पी सीडर का इस्तेमाल करने के लिए न्यूनतम 60 एचपी ट्रैक्टर की ज़रूरत होती है.
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वहीं, स्मार्ट सीडर धान के अवशेषों को मिलाकर और सतह पर मल्चिंग करके उनका प्रबंधन करता है. पीएयू के अनुसार, इसमें हैप्पी सीडर और सुपर सीडर दोनों के फ़ायदे हैं. पीएयू स्मार्ट सीडर का उपयोग करके संयुक्त रूप से काटे गए धान के खेत में बोया गया गेहूं हैप्पी सीडर और सुपर सीडर की तुलना में पहले उगता है. पीएयू स्मार्ट सीडर को 45 से 50 एचपी ट्रैक्टर के साथ संचालित किया जा सकता है और एक दिन में 10 से 12 एकड़ में गेहूं बोया जा सकता है.
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