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सोलापुर में ज्वार की बुवाई ने पकड़ी रफ्तार, क‍िसानों को म‍िल सकता है अच्छा दाम

सोलापुर में ज्वार की बुवाई ने पकड़ी रफ्तार, क‍िसानों को म‍िल सकता है अच्छा दाम

ज‍िले के लगभग 81-82 प्रतिशत क्षेत्र में ज्वार, चना एवं गेहूं बोया गया है. हालांकि, पशुओं के चारे के लिए उपयोगी मक्का की बुआई 70 फीसदी तक हो चुकी है. जिला कृषि अधिकारी दत्तात्रय गवासने ने बताया कि इस वर्ष औसत का 76 फीसदी ही बारिश हुई है. बारिश की कमी के कारण रबी फसलों की बुआई प्रभाव‍ित हुई है.  

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ज्वार की बुवाई ने पकड़ी रफ्तार ज्वार की बुवाई ने पकड़ी रफ्तार

सोलापुर जिले में रबी मौसम के दौरान बड़े पैमाने पर ज्वार की बुवाई होती है. हालांकि, पिछले दो-तीन वर्षों से बाजार में किसानों को इसका उच‍ित दाम नहीं म‍िल रहा है. बुआई से लेकर कटाई तक की लागत भी नहीं निकल पा रही. इसल‍िए क‍िसानों में इसे लेकर कोई खास द‍िलचस्पी नहीं द‍िखाई दे रही. पिछले साल तक ज्वार की बुआई के रकबे में गिरावट का रुख दिख रहा था.  लेक‍िन म‍िलेट ईयर के दौरान मोटे अनाजों के प्रत‍ि बढ़ रही जागरूकता की वजह से हालात थोड़े बदल सकते हैं. क्योंक‍ि ज्वार के बिस्कुट, पोहा और अन्य खाद्य पदार्थ बनाए जा रहे हैं. इसके अलावा, ज्वार का उपयोग अब इथेनॉल के उत्पादन के लिए भी किया जा रहा है. इसल‍िए क‍िसानों को इसका अच्छा दाम म‍िलने का अनुमान है. कृषि विभाग का अनुमान है कि इस वर्ष औसत से अधिक क्षेत्र में ज्वार की बुआई होगी. इसकी ऐसी ही रफ्तार द‍िख रही है. 

हालांकि, इस साल बारिश की कमी के कारण ज्वार की बुआई अभी तक अपने औसत एर‍िया तक नहीं पहुंच पाई. यही हाल गेहूं और चने का भी है. ज‍िले के लगभग 81-82 प्रतिशत क्षेत्र में ज्वार, चना एवं गेहूं बोया गया है. हालांकि, पशुओं के चारे के लिए उपयोगी मक्का की बुआई 70 फीसदी तक हो चुकी है. जिला कृषि अधिकारी दत्तात्रय गवासने ने बताया कि इस वर्ष औसत का 76 फीसदी ही बारिश हुई है. बारिश की कमी के कारण रबी फसलों की बुआई प्रभाव‍ित हुई है.

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ज्वार की अच्छी वृद्धि, गेहूं प्रभाव‍ित 

ज्वार, चना और गेहूं की बुवाई जोरों पर है. देर से बोई गई ज्वार, चना और गेहूं की फसलें पानी पर निर्भर हैं. कम वर्षा के बावजूद ज्वार की वृद्धि जोरदार हो रही है. हालांकि, जिले में गेहूं की फसल की ऊंचाई उतनी नहीं बढ़ रही है, जितनी बढ़नी चाहिए. इससे अनुमान है कि गेहूं का उत्पादन प्रभावित होगा. महाराष्ट्र ऐसा राज्य है जहां मुश्क‍िल से देश का 2-3 प्रत‍िशत ही गेहूं बोया जाता है. लेक‍िन अगर महाराष्ट्र के अंदर की बात की जाए तो सोलापुर में गेहूं और ज्वार की अच्छी खेती होती है. 

क्या है ज्वार 

कृष‍ि वैज्ञान‍िकों के अनुसार ज्वार विश्व की एक मोटे अनाज वाली महत्वपूर्ण फसल है. वर्षा आधारित कृषि के लिए ज्वार सबसे उपयुक्त फसल है. ज्वार की फसल से दोहरा लाभ है. इसे इंसान भी खा सकते हैं और इसका पशु आहार भी बनता है. ज्वार कम बार‍िश वाले क्षेत्र में अनाज तथा चारा दोनों के लिए बोई जाती है. ज्वार जानवरों का महत्वपूर्ण एवं पौष्टिक चारा हैं. महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्र सूखा प्रभाव‍ित हैं. ऐसे क्षेत्रों में ज्वार की बड़े पैमाने पर खेती होती है.

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