सहरसा में 'सोना' उगा रहे यूपी के क‍िसान, तरबूज-खीरा की खेती से हो रही मोटी कमाई

सहरसा में 'सोना' उगा रहे यूपी के क‍िसान, तरबूज-खीरा की खेती से हो रही मोटी कमाई

किसानों ने बताया कि खीरा, ककड़ी बिहार में ही बेच देते हैं. साथ ही तरबूज बड़ी-बड़ी मंडी जैसे सिलीगुड़ी, कोलकाता, दिल्ली , पटना, अगरतला यानी जहां दो पैसे मुनाफा होता है वहां बेचते हैं.

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सहरसा में 'सोना' उगा रहे यूपी के क‍िसान, तरबूज-खीरा की खेती से हो रही मोटी कमाई  यूपी से आए सैकड़ों किसान परिवार सहरसा में कर रहे हैं तरबूज की खेती

ब‍िहार के सहरसा में बहने वाली कोसी के कछार और सफेद बालू यानी बंजर जमीन पर यूपी के सैकड़ों किसान सोना उगा रहे हैं. दरअसल यह असली सोना तो नहीं है, लेकिन जिस जमीन को देखने वाला कोई नहीं है उस जमीन पर यूपी के किसान बड़े पैमाने पर तरबूज, खीरा, कद्दू, ककड़ी और कदीमा की खेती कर रहे हैंं, जिससे उन्हें लाखों रुपए मुनाफा हो रहा है. यहां खेती करके कम लागत में यूपी के किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे है. नवंबर के महीने में किसान अपने परिवार के साथ कोसी के इलाके में खेती के लिए पहुंच जाते हैं, जहां पांच से छह महीने तक इसी जमीन पर झोपड़ीनुमा घर बनाकर अपने परिवार के साथ गुजर बसर करते है.

किसान यहां 4000 रुपए प्रति एकड़ जमीन लीज पर लेकर खेती करते हैं. उन्हें खेती करने में 30 हजार रुपए प्रति एकड़ का खर्च आता है और इससे ये दुगुना कमाई कर लेते है. इतना ही नहीं किसान नेपाल के कोसी बराज से शुरू होकर ये खेती सहरसा के बलुआहा पुल तक कोसी के कछार में फसल की खेती करते हैं.

किसान खरबूजा की करते हैं खेती

जिले के नवहट्टा प्रखंड स्थित कोसी किनारे चंद्रयान के निकट फसल उपजा रहे यूपी से आए किसान यामीन और इसरान खान जो बागपत और शामली जिले से हैं, उन्होंने बताया कि वो तरबूज, खरबूजा, ककड़ी, कद्दू , कदिमा और खीरा की खेती करते है. उन्होंने बताया कि सहरसा जिले के बलुआहा पुल से लेकर नेपाल के बैराज तक कोसी किनारे ये लोग खेती करते है. वहीं उनकी खेती 6 महीने में खत्म हो जाती है. वहीं उन्होंने बताया कि आमदनी पांचवे महीने में ही शुरू हो जाती है.

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 महिला किसान भी शाम‍िल 

किसानों ने बताया कि खीरा, ककड़ी बिहार में ही बेच देते हैं. साथ ही तरबूज बड़ी-बड़ी मंडी जैसे सिलीगुड़ी, कोलकाता, दिल्ली, पटना, अगरतला यानी जहां दो पैसे मुनाफा होता है, वहां बेचते हैं. एक एकड़ की खेती में 30 हजार रुपये का लागत लगता है और मुनाफा दोगुना कमा लेते हैं. किसानों ने बताया कि यहां हजारों एकड़ में खेती करते है. जहां यूपी से आए किसानों में 2000 पुरुष किसान और चार हजार महिलाएं किसान शामिल है. वहीं यूपी की महिला किसान सना ने बताया कि हम यहां यूपी से आकर खेती करते है. पांच महीने सब परिवार के साथ रहते हैं. खेतों में पानी का पटवन करते हैं. उन्होंने बताया कि खेती में बहुत मेहनत है ,बालू में सारा दिन मेहनत में चला जाता है.

यूपी के किसान करते हैं तरबूज की खेती
यूपी के किसान करते हैं तरबूज की खेती

किसानों की मेहनत को देख स्थानीय निवासी ददन यादव और मोहम्मद खलील ने बताया कि यूपी से आए किसानों ने 4000 रुपए प्रति एकड़ जमीन लेते हैं और काफी मेहनत करते हैं. वहीं पहले यहां के लोग मिट्टी काटकर लोग बेचा करते थे और जमीन को बर्बाद करते थे, लेकिन जब से ये यूपी वाले किसान यहां आए है तब से कद्दू,कदिमा,खीरा,तरबूज की उपज कर अच्छी कमाई कर रहे है, ये लोग अच्छा काम कर रहे है और यह किसानों का सराहनीय कदम है. साथ ही इन किसानों ने यहां के स्थानीय किसानों को सिख दिया है कि इस तरह से खेती करने पर कभी भुखमरी नहीं होगी और किसानों को मजदूरी करने के लिए दिल्ली पंजाब जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

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