Wheat Crop: अचानक बढ़े तापमान से किसानों की बढ़ी चिंता, गेहूं के उत्पादन में गिरावट का खतरा

Wheat Crop: अचानक बढ़े तापमान से किसानों की बढ़ी चिंता, गेहूं के उत्पादन में गिरावट का खतरा

इस साल जनवरी में अचानक बढ़े तापमान ने जहां आम लोगों को राहत दी है, वहीं किसानों के लिए यह चिंता का विषय बन गया है. विशेषकर गेहूं की फसल पर इसका सीधा असर पड़ सकता है. बढ़ते तापमान के कारण गेहूं के पौधों में कल्ले कम बनगे, जिससे बालियों की संख्या भी कम हो सकती है. साथ ही, अगर इसी तापमान बढ़ा तो मार्च में तापमान बढ़ने के कारण दानों का वजन कम होने की संभावना है, जिससे कुल उत्पादन प्रभावित होगा.

Advertisement
अचानक बढ़े तापमान से किसानों की बढ़ी चिंता, गेहूं के उत्पादन में गिरावट का खतराबढ़े तापमान से गेहूं की पैदावार में गिरावट का खतरा. (फाइल फोटो)

इस साल जनवरी में मौसम में असामान्य बदलाव देखा गया है, जिससे किसानों के बीच चिंता का माहौल पैदा हो गया है. हालांकि, आम लोगों को इस बदलाव से राहत मिली है, लेकिन गेहूं की फसल पर इसका गहरा असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है. बढ़ते तापमान के कारण गेहूं के पौधों में कल्ले (tillers) कम बन रहे हैं, जिससे बालियों की संख्या भी घट रही है. इसके अलावा, अगर मार्च में तापमान और बढ़ता है तो दानों का वजन कम हो सकता है, जिससे कुल उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

जनवरी में असामान्य तापमान वृद्धि

राजधानी दिल्ली में इस साल जनवरी में सूरज ने मार्च माह जैसी गर्मी का एहसास कराया. 23 जनवरी को न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो पिछले 10 वर्षों में सबसे अधिक था. 2015 में इसी दिन न्यूनतम तापमान 11.4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था. ऐसे में तापमान का यह असामान्य बढ़ाव किसानों के लिए चिंता का कारण बन गया है, खासकर गेहूं की फसल पर इसके प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं.

ला नीना के अभाव में बढ़ी गर्मी

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आई.ए.आर.आई.) दिल्ली के भौतिक विज्ञान विभाग के प्रमुख और वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ. एन. सुभाष ने बताया कि पिछले 10 दिनों से अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से 3-4 डिग्री अधिक है. इसके पीछे एक बड़ा कारण ला नीना का अभाव है. आमतौर पर, ला नीना उत्तर भारत में सर्दियों को मजबूत करता है, लेकिन इसकी अनुपस्थिति के कारण गर्मी का असर बढ़ा है, जो रबी फसलों के विकास के लिए चिन्ता का कारण बन गया है.

गेहूं की फसल पर असर

आई.आई.एस.आर. लखनऊ के प्रधान वैज्ञानिक और एग्रोनामी विभाग के प्रमुख डॉ. विनय कुमार सिंह के अनुसार, जनवरी से फरवरी के बीच तापमान सामान्य से 4-5 डिग्री अधिक रहता है, जो गेहूं की फसल के लिए समस्याएं उत्पन्न कर सकता है. इस दौरान गेहूं के पौधों में कल्ले कम बनते हैं, जिससे बालियों की संख्या भी घट जाती है. अगर कल्लों में बालियां बन भी जाती हैं, तो मार्च में तापमान बढ़ने के कारण दानों का वजन कम हो जाता है, जिससे प्रति एकड़ उपज में गिरावट आ सकती है.

ये भी पढ़ें - गेहूं की फसल के लिए खतरनाक है सेहूं रोग, रोकथाम के लिए क्या करें उपाय?

गेहूं के परागण और दाना भरने पर गर्मी का असर 

गर्मी के तनाव के दौरान, गेहूं के परागण में भी गंभीर असर पड़ता है. जब उच्च तापमान पराग और पुंकेसर की निष्क्रियता का कारण बनता है तो भ्रूण का विकास रुक जाता है और दानों की संख्या कम हो जाती है. साथ ही, दाना भरने की अवस्था में गर्मी का तनाव दाना भरने की दर को कम कर देता है, जिससे दानों का वजन घट जाता है, और इससे कुल उपज में कमी हो जाती है.

साल 2022 में गेहूं की उपज पर असर

सिंधु-गंगा के मैदानों (आईजीपी) में गेहूं की फसल में दाना भरने के दौरान उच्च तापमान का असर देखा गया है, जो उत्पादन को प्रभावित करता है. साल 2022 में सरकार ने अनुमान लगाया था कि गेहूं उत्पादन 111.32 मिलियन टन का रिकॉर्ड बना सकता है, लेकिन मार्च माह में तापमान बढ़ने के कारण उत्पादन घटकर 106.84 मिलियन टन रह गया.

पंजाब, हरियाणा और यूपी में प्रभाव

गर्मी के तनाव का असर प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान में भी देखने को मिला. पंजाब में 2021-22 के दौरान गेहूं की उत्पादकता (42.11 क्विंटल प्रति हेक्टेयर) 2020-21 के मुकाबले 13.5% कम रही. इस प्रकार के तापमान के कारण गेहूं की उपज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

कृषि उपायों से उपज में सुधार संभव

अगर तापमान की स्थिति ऐसी बनी रहती है, तो किसानों को अपनी गेहूं की फसल से बेहतर उत्पादन के लिए कुछ खास कृषि उपायों पर ध्यान देना चाहिए.

  • समय पर बुवाई करें
  • खेत में अवशेषों को बनाए रखें
  • सिंचाई का ध्यान रखें 

पोषण और पर्णीय छिड़काव

पौधों को उचित पोषण देना, जैसे पोटेशियम नाइट्रेट, सैलिसिलिक एसिड, थायो-यूरिया और सोडियम नाइट्रोप्रुसाइड के पर्णीय छिड़काव से फसल की उपज में सुधार हो सकता है.

POST A COMMENT