केंद्र सरकार ने गेहूं और आटे की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने गेहूं की जमाखोरी रोकने के लिए स्टॉक लिमिट पहले के मुकाबले घटा दी है. अब व्यापारी और थोक विक्रेता 1000 टन से अधिक गेहूं स्टॉक नहीं कर सकेंगे. क्योंकि सरकार ने गेहूं की स्टॉक लिमिट को घटा दिया है. सरकार को उम्मीद है कि उसके इस फैसले से मंडियों में गेहूं की आवक बढ़ जाएगी, जिससे रिटेल मार्केट में आटे की कीमत में गिरावट आएगी. ऐसे में आटे से बने अन्य खाद्य पदार्थ भी सस्ते हो जाएंगे.
जानकारी के मुताबिक, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने शुक्रवार को व्यापारियों और थोक विक्रेताओं के लिए गेहूं की स्टॉक लिमिट को 2000 टन से घटाकर 1000 टन कर दिया. वहीं, खुदरा विक्रेताओं के लिए यह लिमिट अब 5 टन कर दी गई है, जबकि पहले इनके लिए गेहूं की स्टॉक लिमिट 10 टन थी. यानी अब खुदरा विक्रेता भी 5 टन से अधिक गेहूं का भंडारण नहीं कर पाएंगे. अगर वे ऐसा करते हुए पकड़े जाते हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी. खास बात यह है कि सरकार ने गेहूं की शंसोधित स्टॉक लिमिट की समय सीमा बढ़ाकर 31 मार्च 2024 तक कर दी है.
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मंत्रालय ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारी इन स्टॉक सीमाओं के कार्यान्वयन की बारीकी से निगरानी करेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश में गेहूं की किसी तरह की कमी न हो. वहीं, केंद्र ने तत्काल प्रभाव से खुले बाजार में आपूर्ति 3 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 4 लाख मीट्रिक टन करने का भी निर्णय लिया है. मंत्रालय ने कहा कि इससे खुले बाजार में गेहूं की उपलब्धता और बढ़ेगी. केंद्र ने कहा कि उन क्षेत्रों की पहचान की गई है जहां कीमतें वर्तमान में अधिक हैं और NAFED, NCCF और केंद्रीय भंडार जैसे केंद्रीय सहकारी संगठन लक्षित बिक्री कर रहे हैं.
मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि प्रोसेसर मासिक स्थापित क्षमता का 70 प्रतिशत 2023-24 के शेष महीनों से गुणा कर सकते हैं. यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब खाद्य मुद्रास्फीति ऊंचाई पर बनी हुई है. उदाहरण के लिए, अनाज मुद्रास्फीति अक्टूबर में 10.65% थी, जो लगातार दूसरे महीने दोहरे अंक में बनी रही. सरकार ने कहा कि समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और जमाखोरी और बेईमान सट्टेबाजी को रोकने के लिए यह निर्णय लिया गया है. यह कदम केंद्र के विशिष्ट खाद्य पदार्थों पर लाइसेंसिंग आवश्यकताओं, स्टॉक सीमा और आंदोलन प्रतिबंधों को हटाने (संशोधन) आदेश, 2023 के तहत उठाया गया है.
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