धान की अगेती किस्म 'पूसा 1509' की सप्लाई उत्तर प्रदेश से हरियाणा की मंडियों में शुरू हो गई है. लेकिन पिछले साल के मुकाबले कीमतों में बहुत अधिक गिरावट से किसान निराश हैं. किसानों का कहना है कि इसी तरह से अगर कीमतों में गिरावट जारी रही, तो उनके लिए लागत निकालना भी मुश्किल हो जाएगा. इस साल मंडियों में 'पूसा 1509' धान 2,400 से 2,750 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है, जबकि पिछले साल इसका रेट 3000 से 3600 रुपये प्रति क्टिंल था. यानी कि किसनों को इस साल 600 से 700 रुपये प्रति क्विटंल तक कम रेट मिल रहे हैं.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, 'पूसा 1509' धान यूपी से करनाल की अनाज मंडी में आनी शुरू हो गई है, लेकिन साल किसानों को कम कीमत मिल रही है. दरअसल, 'पूसा 1509' धान का निर्यात किया जाता है. निजी व्यापारी निर्यात के उदेश्य से ही इसकी खरीद करते हैं. लेकिन कम कीमतों ने किसानों की उम्मादों पर पानी फेर दिया है. किसानों का कहना है कि साल दर साल खेती में इनपुट लागत बढ़ती जा रही है. वहीं, यूपी से कर्नाल की मंडियों में धान को लाने में भी परिवहन लागत पर बहुत अधिक खर्च करने पड़ते हैं. ऐसे में व्यापारियों को इनपुट और परिवहन लागत को ध्यान में रखते हुए कीमतें बढ़ानी चाहिए.
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शामली जिले के किसान योगेश मलिक ने कहा कि वे करीब 60 क्विंटल धान करनाल लेकर आए थे. गुरुवार को उनकी फसल 2,750 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदी गई, जबकि पिछले साल 3,481 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदी गई थी. करनाल मार्केट कमेटी के आंकड़ों के अनुसार, इस साल अब तक करनाल अनाज मंडी में यूपी से 1509 किस्म की करीब 63,000 क्विंटल धान की आवक हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक 81,000 क्विंटल आवक हुई थी. करनाल मार्केट कमेटी के सचिव संजीव सचदेवा ने कहा कि इस किस्म को निजी खिलाड़ी खरीदते हैं. हम यहां किसानों को सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं.
बता दें कि पूसा 1509 बासमती चावल की एक बेहतरीन किस्म है. यह जल्दी पकने वाली, कम ऊंचाई वाली, जमीन न गिरने वाली और न टूटने वाली किस्म है. इसकी औसत बीज उपज 41.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह 115 दिनों में परिपक्व होती है जो पूसा बासमती 1121 से 30 दिन पहले है. यह 3-4 सिंचाई बचाता है और जल्दी पकने के कारण किसानों को गेहूं के खेत की तैयारी के लिए पर्याप्त समय देता है, जिससे अवशेषों को जलाने में कमी आती है.
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