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अब अच्छे दाम के लिए नहीं तरसेंगे पंजाब के किन्नू किसान, मदद में उतरा एग्री एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन

अब अच्छे दाम के लिए नहीं तरसेंगे पंजाब के किन्नू किसान, मदद में उतरा एग्री एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन

राज्य निगम ने इस साल चार लाख लीटर किन्नू जूस बनाने का निर्णय लिया है. इसके लिए किन्नू की सोर्सिंग शुरू हो गई है. चूंकि किन्नू की क्वालिटी को लेकर कई मुद्दे हैं, इसलिए निगम ने जूस बनाने के लिए 5,000 टन सी और डी ग्रेड किन्नू खरीदने का फैसला किया है. अधिकारियों का कहना है कि हालांकि यह लो क्वालिटी वाला किन्नू आम तौर पर कुल उपज का 30 प्रतिशत होता है, लेकिन इस साल लो क्वालिटी वाला किन्नू कहीं अधिक प्रतिशत में है. हमने बागवानों के साथ उनके किन्नू को तोड़ने और 10-11 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचने का कांट्रैक्ट भी किया है. 

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एग्री एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन किसानों से खरीदी करेगी किन्नू फल एग्री एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन किसानों से खरीदी करेगी किन्नू फल

आखिरकार पंजाब सरकार प्रदेश के किन्नू उत्पादक किसानों के समर्थन में उतरी है. राज्य में किन्नू उत्पादकों द्वारा अपनी फसल को औने-पौने दाम में बेचने और अपने बगीचों को उजाड़ने के चलते आखिरकार पंजाब एग्री एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन ने फल खरीदने का निर्णय लेकर उनके बचाव में कदम उठाया है. मालवा क्षेत्र में किन्नू उत्पादक हताशा भरे कदम उठा रहे हैं, जिनमें किन्नू की कीमतें 5 रुपये प्रति किलो से ऊपर नहीं बढ़ने के बाद अपने बागों को उखाड़ना और गेहूं-धान की खेती में वापस जाना शामिल है. पिछले साल उन्हें 20-25 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत मिली थी.

इस साल पंजाब में किन्नू के बागों में अत्यधिक फले लगे हैं और बाग कम नहीं हुए हैं. परिणामस्वरूप, फलों के बंपर उत्पादन और महाराष्ट्र से संतरे की आमद के मद्देनजर घटती मांग ने किन्नू उत्पादकों के लिए समस्या बढ़ा दी है". अबोहर के पट्टी सादिक गांव में 20 एकड़ का बाग रखने वाले गुरप्रीत सिंह संधू ने अफसोस जताते हुए यह बात कही. इस साल किन्नू का उत्पादन 13.50 लाख मीट्रिक टन तक पहुंचने की उम्मीद है. पिछले साल यह 8 लाख मीट्रिक टन था. हालांकि अबोहर में राज्य निगम इस बार बहुत कम फूड प्रोसेसिंग के लिए किन्नू खरीदने का प्रयास कर रहा है. किन्नू तोड़ने और मार्केटिंग करने के लिए बागवानों के साथ बहुत कम कांट्रैक्ट हो रहा है. इतना ही नहीं, इस बार निगम किसानों को अपनी फसल तोड़ने और उपज बेचने के लिए नए बाजार खोजने में मदद के भी कम प्रयास हो रहे हैं.

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अधिकारियों ने क्या कहा 

राज्य निगम ने इस साल चार लाख लीटर किन्नू जूस बनाने का निर्णय लिया है. इसके लिए किन्नू की सोर्सिंग शुरू हो गई है. चूंकि किन्नू की क्वालिटी को लेकर कई मुद्दे हैं, इसलिए निगम ने जूस बनाने के लिए 5,000 टन सी और डी ग्रेड किन्नू खरीदने का फैसला किया है. अधिकारियों का कहना है कि हालांकि यह लो क्वालिटी वाला किन्नू आम तौर पर कुल उपज का 30 प्रतिशत होता है, लेकिन इस साल लो क्वालिटी वाला किन्नू कहीं अधिक प्रतिशत में है. हमने बागवानों के साथ उनके किन्नू को तोड़ने और 10-11 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचने का कांट्रैक्ट भी किया है. अच्छी क्वालिटी वाले किन्नू को खुदरा में बेचा जाएगा, जबकि अन्य का उपयोग जूस बनाने के लिए किया जाएगा.

होशियारपुर क्षेत्र से खरीदे जाने वाले किन्नू को अबोहर प्लांट में ही बनाया जाएगा क्योंकि डीवेटिंग प्लांट केवल वहीं है,” पंजाब कृषि निर्यात निगम के महाप्रबंधक रणबीर सिंह ने 'दि ट्रिब्यून' से कहा. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, भुवनेश्वर, वाराणसी और सिलीगुड़ी में किन्नू की बिक्री को तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है. साथ ही, एपीडा को बांग्लादेश में निर्यात शुरू करने में मदद करने के लिए भी लिखा गया है, जहां किन्नू पर 90 रुपये प्रति किलोग्राम के शुल्क ने निर्यात को अव्यवहारिक बना दिया है.

किसानों को मिल रहा है कम दाम 

अबोहर से अभी हाल में खबर आई थी कि किन्नू किसान अपनी उपज को पांच रुपये किलो बेचने के लिए मजबूर हैं क्योंकि अधिक रेट नहीं मिल रहा है. इर रेट से नाराज किसानों ने अपने बागानों पर ट्रैक्टर चला दिया और बागों को बर्बाद कर दिया. किसानों की शिकायत है कि उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है तो इस तरह की बागवानी का क्या फायदा. किसानों ने कहा कि जब किन्नू से पैसे नहीं आ रहे तो वे फिर से गेहूं और चावल की खेती करेंगे. जबकि सरकार ने किसानों को गेहूं-चावल के चक्र से निकालने के लिए किन्नू जैसी बागवानी फसलों को बढ़ावा दिया है.

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