एक ओर देश में प्याज की कमी के चलते संकट छाया हुआ और उपलब्धता में कमी के चलते कीमतें 90 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं तो बंगाल के बाजारों में आलू की आपूर्ति अधिक हो रही है. इससे आलू उत्पादक किसानों को कीमत नहीं मिल पा रही है. नतीजतन उन्हें घाटा का सामना करना पड़ रहा है, जबकि कुछ आलू उत्पादकों ने फसल को पड़ोसी देश बांग्लादेश में निर्यात करना शुरू दिया है.
स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग टास्क फोर्स के सदस्य कमल डे ने बिजनेसलाइन को बताया कि वर्तमान में राज्य के पास जो आलू का स्टॉक है उसे बेचना मुश्किल हो रहा है. अधिक आपूर्ति के कारण किसानों को मनमुताबिक दाम नहीं मिल पा रहे हैं. इसलिए कुछ बड़े किसानों ने बांग्लादेश को आलू का निर्यात करना शुरू कर दिया है.
कोलकाता में सियालदह के कोले बाजार में ज्योति आलू किस्म की थोक कीमतें लगभग 15-16 रुपये प्रति किलोग्राम हैं, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में कम है. बड़े स्तर पर इस्तेमाल की जाने वाली ज्योति किस्म की बाजार कीमतों पर राज्य सरकार का नियंत्रण है. आलू की इस किस्म की उपज भी खूब होती है.
झारखंड के रांची से आलू पहले ही पश्चिम बंगाल के बाजारों में आ चुका है और पंजाब से आपूर्ति दिसंबर की शुरुआत में आने की संभावना है. इसके अलावा बंगाल में पुखराज जैसी आलू की किस्में दिसंबर के तीसरे सप्ताह से बाजार में आने की उम्मीद है.
कमल डे ने कहा कि आलू की ताजा उपज आने के बाद लोग पुराना स्टॉक नहीं खरीदना चाहते हैं. इसीलिए कुछ दिनों से बांग्लादेश को आलू निर्यात किया जा रहा है. निर्यात के बिना पुराने स्टॉक वाले उत्पादकों को मुश्किल का सामना करना पड़ेगा. पिछले साल पश्चिम बंगाल ने पड़ोसी देश को बहुत कम मात्रा में निर्यात किया था. लेकिन इस साल मात्रा बढ़ने वाली है.
2022-23 के दौरान देश के दूसरे सबसे बड़े आलू उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल में लगभग 4.60 लाख हेक्टेयर में आलू की खेती की गई और कुल उत्पादन लगभग 100 लाख टन था, जो 2021-22 की तुलना में अधिक था.
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मौजूदा कीमतें पिछले साल की तुलना में काफी कम हैं. यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि कीमतें इस दायरे में रहेंगी या नहीं. उत्तर प्रदेश से आलू की आवक कई चीजें बदल सकती है.उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा उत्पादक है.बंगाल में आलू की पूर्ण पैमाने पर बुआई आम तौर पर नवंबर के मध्य से शुरू होती है. जबकि फसल अगले जनवरी में काटी जाती है. 2023-24 के लिए अनुकूल मौसम की स्थिति को देखते हुए, इसी अवधि के दौरान पूर्ण पैमाने पर बुआई शुरू होने की उम्मीद है.
सितंबर-अक्टूबर में बारिश के कारण आलू की कुछ शुरुआती किस्मों की बुआई में देरी हुई है. साथ ही कीमतें कम होने के कारण भी किसानों की दिलचस्पी इसमें कम रही. बड़े पैमाने पर बुआई सामान्य समय पर शुरू होगी. हालांकि, बेमौसम बारिश से बुआई कार्य में देरी हो सकती है.
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