झारखंड में रूक- रूक कर हो रही बारिश की वजह से खरीफ फसलों को नुकसान पहुंच सकता है. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश से सबसे अधिक उन किसानों को नुकसान पहुंचेगा, जिनकी फसल पूरी तरह से पक कर तैयार हो गई थी. हालांकि, विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि ये बारिश रबी फसलों के लिए वरदान साबित हो सकती है. बारिश से मिट्टी में नमी आ गई है, जो रबी फसलों के लिए काफी फायदेमंद है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में हो रही बारिश के चलते सबसे अधिक धान की फसल को नुकसान पहुंचने की संभावना बढ़ गई है. पानी में भीगने की वजह से धान के बीज फूल कर अंकुरित भी हो सकते हैं. इससे गुणवत्ता प्रभावित होगी. अगर किसान बारिश में भीगे हुए धान बेचने के लिए ले जाएंगे, तो उन्हें मार्केट में उचित रेट नहीं मिलेगा. दरअसल, इस साल झारखंड में दक्षिण-पश्चिम मानसून के देर से आने के कारण किसानों ने धान की बुवाई देरी से की थी. कुछ क्षेत्रों में धान की बुआई करने में लगभग दो महीने की देरी हुई थी. ऐसे में किसान धान की कटाई भी देरी से कर रहे हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि धान के अलावा, आलू की फसल में झुलसा रोग लगने की अधिक संभावना है. साथ ही सरसों की फसल भी एफिड से संक्रमित हो सकती है. झारखंड में प्रतिवर्ष 28 लाख हेक्टेयर भूमि पर खरीफ की खेती होती है. इसमें से 18 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई होती है. राज्य में हर साल ख़रीफ़ सीज़न के दौरान 35 से 40 लाख टन धान का उत्पादन होता है. बीएयू के कृषि मौसम विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान विभाग के अध्यक्ष रमेश कुमार ने कहा कि बारिश से मिट्टी में अधिक नमी आ गई है. इससे रबी फसल की बुआई में मदद मिलेगी. सब्जियों, विशेष रूप से हरी मटर, पत्तागोभी, फूलगोभी और टमाटर की फसल को अधिक फायदा होगा.
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बता दें कि सिर्फ झारखंड ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी बारिश ने भारी तबाही मचाई है. आज सुबह ही खबर सामने आई थी कि आंध्र प्रदेश में चक्रवात मिचौंग ने लाल मिर्च की फसल का नुकसान पहुंचाया है. इससे उत्पादन में गिरावट आ सकती है. साथ ही कहा जा रहा है कि खेत में जलभराव हो जाने के चलते अब मिर्च की कटाई में लगभग एक महीने की देरी होने की संभावना है. ऑल इंडिया चिली एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संबासिवा राव वेलागापुडी ने कहा था कि चक्रवात के प्रभाव के कारण 15 से 20 प्रतिशत तक मिर्च की फसल प्रभावित हो सकती है. उन्होंने कहा कि खास कर बारिश के कारण गुंटूर, ओंगोल, कृष्णा और खम्मम जिले में फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है.
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