प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को खत्म करने और निर्यात शुल्क को आधा करने के बाद रिटेल मार्केट में भी इसका असर दिखने लगा है. महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में खुदरा प्याज की कीमतें 60 रुपये प्रति किलो को पार कर गई हैं, जबकि कुछ क्षेत्रों में सप्लाई प्रभावित होने के चलते प्याज 80 रुपये किलो बिक रहा है. वहीं, व्यापारियों का कहना है कि नवंबर से पहले कीमतों में गिरावट की कोई उम्मीद नहीं है. यानी अभी आम जनता को करीब दो महीने तक महंगाई का सामना करना पड़ेगा.
व्यापारियों का कहना है कि नवंबर के पहले सप्ताह से कर्नाटक से प्याज की ताजा उपज की मंडियों में सप्लाई शुरू हो जाएगी. इसके बाद कीमतों में गिरावट शुरू हो सकती है. जबकि, दादर के निवासियों का कहना है कि प्याज की बढ़ती कीमत ने किचन का बजट बिगाड़ दिया है. खाने-पीने की आसमान छूती कीमतों ने त्योहारी सीजन की खुशी पर पानी फेर दिया है. क्योंकि उन्हें एक किलो प्याज के लिए 60 से 80 रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं. जबकि, एक्सपर्ट का कहना है कि पिछले एक महीने में, प्याज की कीमतों में लगभग 100 फीसदी की वृद्धि देखी गई है.
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लोकमत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वाशी में कृषि उपज बाजार समिति के व्यापारियों का अनुमान है कि नवंबर की शुरुआत से मध्य तक नई फसल आने तक कीमतों में उछाल जारी रहेगा. खुदरा बाजारों में प्याज की कीमत पहले ही 50 रुपये प्रति किलो को पार कर चुकी है और 80 रुपये तक पहुंच गई है. जबकि, एक महीने पहले तक प्याज 30 से 40 रुपये प्रति किलो में उपलब्ध था. हालांकि, एपीएमसी प्रशासन ने संकेत दिया है कि मौजूदा स्टॉक कम हो रहा है, क्योंकि अब ज्यादातर आपूर्ति ताजा फसल के बजाय भंडारित स्टॉक से आ रही है.
एक व्यापारी ने खुलासा किया कि चूंकि प्याज गोदामों से मंगाया जा रहा है, इसलिए पिछले दो हफ्तों में खरीद कीमत में 30-40 फीसदी की वृद्धि हुई है. वर्तमान में, थोक प्याज की कीमतें 35 रुपये से 45 रुपये प्रति किलो के बीच है, लेकिन नवंबर में नई फसल आने के बाद इनके गिरने की उम्मीद है. एपीएमसी वाशी में प्याज-आलू बाजार के अध्यक्ष संजय पिंगले ने बताया कि कीमतों में बढ़ोतरी के लिए कई कारक योगदान दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर प्याज की कीमतें अधिक हैं. निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क ने कीमतों को कुछ हद तक नियंत्रण में रखा है. पिंगले ने कहा कि उस शुल्क के बिना, खुदरा कीमतें 80 से 90 रुपये प्रति किलोग्राम को पार कर सकती थीं.
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उन्होंने यह भी बताया कि मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में रोजाना करीब 1,500 टन प्याज की खपत होती है. शुक्रवार को केंद्र सरकार ने प्याज पर न्यूनतम निर्यात मूल्य हटा दिया, जिससे किसानों को निर्यात के लिए अपनी कीमतें तय करने की अनुमति मिल गई. हालांकि, निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लागू रहेगा. व्यापारियों और किसानों दोनों ने इस कदम का स्वागत किया है, लेकिन इससे स्थानीय बाजार में कीमतें और बढ़ सकती हैं. पिंगले ने सुझाव दिया कि सरकार को कीमतों को स्थिर करने में मदद के लिए अपने भंडार से प्याज जारी करना चाहिए. उन्होंने कहा कि एपीएमसी वाशी में आने वाले प्याज की गुणवत्ता खराब है और अत्यधिक बारिश के कारण इसे लंबे समय तक संग्रहीत नहीं किया जा सकता है, जिससे किसानों के स्टॉक में काफी गिरावट आई है.
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