प्याज के दाम के मुद्दे पर महाराष्ट्र के व्यापारी और सरकार आमने-सामने हैं. मुंबई में कल हुई बैठक बेनतीजा रही है. व्यापारियों का आरोप है कि केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने उनकी एक भी बात नहीं मानी. यहां तक कि कोई कोर्डिनेशन कमेटी तक नहीं बनाई गई. लेकिन अगले दौर की बात करने के लिए 29 सितंबर को दिल्ली में दोनों पक्षों की बैठक होगी. व्यापारियों का कहना है कि नेफेड और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनसीसीएफ) की वजह से पूरा बाजार खराब हो गया है. ये दोनों एजेंसियां बाजार में जान बूझकर प्याज का दाम गिरा रही हैं. उधर, प्याज पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने की वजह से बिजनेस की कमर टूट गई है.
इस बीच नासिक की प्याज मंडियों में हड़ताल का आज आठवां दिन है. करीब 20 बड़ी मंडियों के पांच सौ से अधिक व्यापारियों ने प्याज की नीलामी बंद की हुई है. इससे करोड़ों रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ है. महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक प्रदेश है और नासिक महाराष्ट्र में प्याज की खेती का गढ़ है. यहां के लासलगांव में एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी है. इसलिए यहां आठ दिन से प्याज की नीलामी न होना खासतौर पर महाराष्ट्र सरकार के लिए चिंता का सबब बना हुआ है. मुंबई में 26 सितंबर को हुई बैठक में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजीत पवार, केंद्रीय राज्य मंत्री भारती पवार और कई अधिकारी मौजूद रहे.
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व्यापारियों का आरोप है कि नेफेड और एनसीसीएफ महाराष्ट्र से प्याज खरीदकर दूसरे राज्यों की मंडियों में सस्ते रेट पर प्याज बेच रहे हैं. जिससे दाम कम हो गया है. बाजार को जान बूझकर प्रभावित करना ठीक नहीं. सरकार की यह पॉलिसी यहां के व्यापारियों और किसानों दोनों के हितों पर चोट कर रही है. न किसानों को दाम मिल रहा है और न व्यापारियों फायदा. ऊपर से सरकार ने प्याज पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई हुई है. जिससे एक्सपोर्ट बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. घरेलू बाजार में दाम गिर गए हैं. व्यापारी मार्केट फीस को 1 रुपये प्रति क्विंटल से घटाकर 50 पैसे करना चाहते हैं.
महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि प्याज पर पहली बार 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने से उसका किसानों पर निगेटिव असर पड़ा है. एक्सपोर्ट कम हो गया है इसलिए घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता बढ़ गई है. ऐसे में दाम कम हो गया है और इससे किसानों को नुकसान हुआ है. दूसरी ओर, एनसीसीएफ और नफेड बाजार से सस्ता प्याज बेचकर किसानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इन दो मुद्दों पर किसानों का हड़ताल को समर्थन है. इसका जल्द से जल्द समाधान होना चाहिए. हम दो टूक यह पूछना चाहते हैं कि जब दाम 1 या 2 रुपये किलो पहुंचता है तब सरकार कहां गायब हो जाती है और जब दाम बढ़ता है तो फिर कहां से हमारे काम में बाधा डालने आ जाती है. नफेड और एनसीसीएफ दोनों किसानों की विरोधी एजेंसियां हैं.
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