कम लागत में तोरई की इन खास किस्मों से मालामाल हो जाएंगे UP के किसान, जानें एग्रीकल्चर एक्सपर्ट की राय

कम लागत में तोरई की इन खास किस्मों से मालामाल हो जाएंगे UP के किसान, जानें एग्रीकल्चर एक्सपर्ट की राय

Toria Farming: उन्होंने कहा कि बेहतर किस्म के बीज का चुनाव करके किसान कम समय में मोटा मुनाफा हासिल कर सकते हैं. जिन किसानों ने खरीफ सीजन की बड़ी फसलों जैसे धान, मक्का आदि की बुवाई नहीं की है, उनके लिए तोरई की बुवाई के यह सही समय है.

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कम लागत में तोरई की इन खास किस्मों से मालामाल हो जाएंगे UP के किसान, जानें एग्रीकल्चर एक्सपर्ट की रायकिसान आसानी से बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं (Photo-Kisan Tak)

कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए किसान फसलों की खेती के साथ सब्जियां भी उगाते हैं. तोरई (Toria Farming) एक एक सब्जी है जिसकी काफी डिमांड रहती है. इसी क्रम में रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र के एक्सपर्ट दिलीप कुमार सोनी का कहना है कि तोरई की अच्छी किस्म के बीजों से खेती करने पर पैदावार भी अच्छी होती है. पूसा संस्थान ने तोरई की उन्नत और अधिक पैदावार देने वाली कई किस्में इजाद की हैं, जिनमें पूसा चिकनी, पूसा स्नेहा, पूसा सुप्रिया, काशी दिव्या, कल्याणपुर चिकनी, फुले प्रजतका, घिया तोरई, पूसा नसदान, सरपुतिया, कोयम्बू- 2 को काफी पसंद किया जाता है. 

तोरई की ज्यादा उपज और अच्छी कीमत 

कृषि एक्सपर्ट दिलीप ने कहा कि ये तोरई के बेहतर किस्में T- 9 (काली) तोरई बीज, T- 36 (पीली) तोरई बीज, PT30 (काली) तोरई बीज PT 303 (काली) तोरई बीज शामिल है. इन तोरिया किस्मों की उपज अच्छी होती है. साथ ही किसानों को बाजार में दाम भी अच्छा मिलता है. 

उन्होंने कहा कि बेहतर किस्म के बीज का चुनाव करके किसान कम समय में मोटा मुनाफा हासिल कर सकते हैं. जिन किसानों ने खरीफ सीजन की बड़ी फसलों जैसे धान, मक्का आदि की बुवाई नहीं की है, उनके लिए तोरई की बुवाई के यह सही समय है. सितंबर के पहले सप्ताह से 50 दिनों तक बुवाई के लिए उपयुक्त समय है. इसके बाद बुवाई करने पर गेहूं की बुवाई में देरी का सामना करना पड़ सकता है. 

तोरई की बुवाई के लिए जरूरी टिप्स

रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के सहायक विकास अधिकारी कृषि दिलीप कुमार सोनी बताते हैं कि यदि आप तोरई की खेती करना चाहते हैं तो बीज की रोपाई से पहले बीजों का उपचार करना जरूरी है. बीजो के उपचार के लिए 2 ग्राम काबेंडेजिम के साथ प्रति किलो बीजों को का उपचार किया जा सकता है. इसके साथ ही बीजों को एजोटोबैक्टर जीवाणु खाद टीके से उपचारित करना भी फायदेमंद साबित हो सकता है.

कितने बीजों की होगी आवश्यकता

वहीं एक एकड़ खेत में 1.50 किलोग्राम बीजों की जरूरत हो सकती है. बुवाई कतार बनाकर की जानी चाहिए. कतारों की एक दूसरे से दूरी लगभग 30 सेमी. होनी चाहिए. इसके अलावा बुवाई करने के लिए 4 से 5 सेमी गहराई जरूरी है. पौधे की आपस में दूरी 10 से 15 सेमी रहनी चाहिए.

कैसे करें तोरई की खेती 

1-  बुवाई के बाद फसल की अच्छे से सिंचाई करें. साथ ही मिट्टी की देखभाल करनी भी जरूरी है. खेतों में जलभराव का ध्यान रखें.

2- प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 30 किलोग्राम पोटाश, 20 किलोग्राम नाइट्रोजन का बुवाई के दौरान उपयोग करें. जिससे पौधे के बेहतर विकास होगा. इतनी ही खुराब दूसरी बार फूल आने पर डालें.

3- फसलों को रोगों से बचाने के लिए प्रति किलोग्राम बीज में थाइरम नामक फंफुदनशक दवा के 2 ग्राम के साथ उपचार करना होगा. भूरी रोग और केवड़ा रोग से तोरई की फसल को ज्यादा नुकसान होता है.

 

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