गैर-बासमती चावल (सफेद) के निर्यात भाव में तेजी देखी जा रही है. ये वो चावल है जो उबला नहीं होता, रंग में सफेद होता है और गैर-बासमती की श्रेणी में आता है. इसे आम बोलचाल में मोटा चावल भी कह सकते हैं. इस तरह के चावल का निर्यात भारत से बड़े पैमाने पर किया जाता है. हाल के दिनों में इस चावल के भाव में तेजी देखी जा रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, सफेद चावल के निर्यात भाव में प्रति टन 25 डॉलर तक की मजबूती है. भाव में मजबूती के पीछे दो वजहें हैं- घरेलू बाजार में कम सप्लाई और विदेशों से भारी मांग. इन दोनों कारणों से गैर-बासमती चावल के दाम में अचानक वृद्धि हुई है.
दूसरी ओर, उबला चावल या आधा उबला चावल जिसे हाफ बॉयल्ड भी कहते हैं, उसके दाम में पहले से गिरावट देखी जा रही है. इस चावल के निर्यात भाव में प्रति टन पांच डॉलर तक की कमी आई है.
आखिर गैर-बासमती चावल के भाव में अभी उछाल क्यों है? इसके बारे में बल्क लॉजिक्स कंपनी के डायरेक्टर वीआर विद्यासागर 'बिजनेसलाइन' से कहते हैं, देश में अभी सफेद चावल की सप्लाई का टोटा चल रहा है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि केंद्र सरकार अपने बफर स्टॉक (सेंट्रल पुल) के लिए बड़े पैमाने पर चावल की खरीद कर रही है. इसलिए जो चावल व्यापारियों या कंपनियों को बेचा जाना है, अभी वह खेप केंद्र सरकार के पास जा रही है. इससे मार्केट में सफेद चावल की कमी है. दूसरी ओर, उबले चावल की सप्लाई पहले से बढ़ गई है जिससे दाम में गिरावट देखी जा रही है.
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ऐसे में एक सवाल उठता है कि मार्केट में सफेद चावल की कमी कब तक देखी जाएगी? क्या नई उपज आने के बाद दाम में कुछ नरमी आएगी? इस बारे में राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बीवी कृष्ण राव कहते हैं, ओडिशा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में रबी चावल की नई उपज आने लगी है. इन प्रदेशों में एक्सपोर्टर्स किसानों को चावल का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के आसपास दे रहे हैं. इस साल चावल की एमएसपी 2040 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित की गई है. जैसे ही सफेद चावल की सप्लाई दुरुस्त होगी, उसके भाव पर दबाव भी कम होगा.
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हालांकि अगले कुछ महीनों में चावल के भाव की क्या स्थिति रहेगी, इसके लिए वैश्विक परिस्थितियों को भी देखना होगा. भारत में चावल निकलने लगा है और एक्सपोर्टर्स उसकी खरीद भी कर रहे हैं. थाइलैंड में चावल की खेप सितंबर से शुरू होगी. इस बीच अल नीनो और मॉनसून का फैक्टर भी दाम पर असर डाल सकता है. अगर अल-नीनो का असर हुआ, सूखे जैसी स्थित बनी और मॉनसून का बिगड़ैल रूप दिखा तो उत्पादन पर बेहद गंभीर प्रभाव दिख सकता है. ऐसी हालत में चीन की चावल की मांग को वियतनाम को पूरा करना होगा. हालांकि यह बात अभी दूर की है, इसलिए कुछ समय इंतजार करना होगा. फिलहाल सफेद चावल के निर्यात भाव में बहुत बड़ी गिरावट आती नहीं दिख रही है.
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