इस बार सरसों का उत्पादन घटने की आशंका है. सरसों की पैदावार पर बारिश और ओलावृष्टि का असर देखा जा रहा है. सरसों कटाई के ठीक पहले कई दिनों तक रुक-रुक कर बारिश और ओलावृष्टि हुई. मौसम की यह मार उन राज्यों में अधिक थी जहां सरसों की पैदावार बड़े पैमाने पर होती है. इसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब आदि राज्य हैं. इन प्रदेशों में बारिश ने सरसों की बालियों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया. इससे पैदावार में कमी दर्ज होने की आशंका जताई जा रही है. इसके बारे में सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने एक अनुमान जताया है. एसईए के मुताबिक, इस बार देश में 111.83 लाख टन सरसों का उत्पादन हो सकता है. किसानों की बड़ी परेशानी सरसों का कम भाव मिलना भी है. टैक्स और कई तरह के चार्ज काटने के बाद किसानों के खाते में बहुत कम राशि आती है.
SEA के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला ने बताया कि पहले सरसों उत्पादन का अनुमान 115.25 लाख टन बताया गया था. लेकिन बाद में इस अनुमान को रिवाइज किया गया और अब यह अनुमान 111.83 लाख टन का रखा गया है. उत्पादन में कमी की वजह बेमौमस बारिश और ओलावृष्टि बताई जा रही है. मार्च महीने में देश के कई राज्यों में बेमौसम बारिश हुई जिससे उत्पादन में गिरावट की आशंका जताई जा रही है. 111.83 लाख टन रिवाइज और अंतिम उत्पादन का अनुमान है.
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सरसों किसान एक और बड़ी परेशानी से जूझ रहे हैं. पहले बारिश से फसल चौपट हुई, उसके बाद उत्पादन गिरा. और अब भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चल रहा है. देश की अलग-अलग कृषि उपज मंडियों में सरसों का भाव 5100 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन किसानों को इससे भी कम पैसे मिल रहे हैं. किसानों को उनकी सरसों का 4600 रुपये से 4700 रुपये प्रति क्विंटल का ही भाव मिल रहा है. इसकी वजह ये है कि किसानों की उपज पर एपीएमसी यार्ड टैक्स और अन्य चार्ज काटने के बाद बहुत कम राशि मिल रहा है जबकि सरसों की एमएसपी 5450 रुपये प्रति क्विंटल है.
कीमतों में गिरावट की यह हालत तब है जब सरकार ने लगभग सभी सरसों उत्पादक राज्यों में स्पेशल खरीदारी का काम शुरू किया था. नेफेड और हेफेड जैसे संस्थानों के जरिये सरसों की खरीद की गई थी. पहली बार सरसों की खरीद बंद होने के बाद दूसरी बार शुरू किया गया था. हरियाणा में सरसों की खरीद दोबारा शुरू की गई क्योंकि किसानों के पास बड़ी मात्रा में उपज बची थी और वे रोक कर नहीं रख सकते थे.
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एक तरफ सरकार देश में सरसों का उत्पादन बढ़ाना चाहती है, वहीं दूसरी ओर किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है. सरकार ने 2025-26 तक देश में सरसों का उत्पादन 200 लाख टन तक ले जाने का लक्ष्य तय किया है. इसके लिए किसानों को हर तरह से प्रोत्साहित किया जा रहा है. पिछले चार साल में देखें तो सरसों की एमएसपी में 1,000 रुपये की बढ़तरी की गई है. बुआई के वक्त सरसों के दाम अधिक होने की वजह से किसानों ने इस बार बंपर खेती की थी. लेकिन बारिश ने उत्पादन घटा दिया और अब एमएसपी से कम भाव मिलने से किसानों में मायूसी है.
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