Mango: फल मंडि‍यों में बढ़ी आम की आवक, इस वजह से नहीं म‍िल रहे खरीदार

Mango: फल मंडि‍यों में बढ़ी आम की आवक, इस वजह से नहीं म‍िल रहे खरीदार

वाराणसी के पहाड़ियां स्थित फल मंडी में इन दिनों आम की आवक काफी बढ़ गई है लेकिन ग्राहक नहीं बढ़ने से दुकानदार परेशान हैं. जलवायु परिवर्तन की वजह से इस बार आम आकार पर भी असर पड़ा है जिसकी वजह से इस बार मंडियों में पहुंचने वाला आम पिछले साल के मुकाबले छोटा है. मंडी में लंगड़ा, दशहरी, बैगन और तोतापुरी आम की भरमार है लेकिन इसके बावजूद भी सन्नाटा छाया हुआ है.

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Mango: फल मंडि‍यों में बढ़ी आम की आवक, इस वजह से नहीं म‍िल रहे खरीदार फल मंडी में बढ़ी आम की आवक

उत्तर प्रदेश की फल मंडि‍यों में अब आम की आवक बढ़ने लगी है. मई का महीना खत्म होने की ओर है तो वहीं अब लंगड़ा, दशहरी आम भी पक कर तैयार हो चुका है. वाराणसी के पहाड़ियां स्थित फल मंडी में इन दिनों आम की आवक काफी बढ़ गई है, लेकिन ग्राहक नहीं बढ़ने से दुकानदार परेशान हैं. जलवायु परिवर्तन की वजह से इस बार आम आकार पर भी असर पड़ा है, जिसकी वजह से इस बार मंडियों में पहुंचने वाला आम पिछले साल के मुकाबले छोटा है. मंडी में लंगड़ा, दशहरी, बैगन और तोतापुरी आम की भरमार है, लेकिन इसके बावजूद भी सन्नाटा छाया हुआ है. 

फल मंडी में बढ़ी आम की आवक

फल मंडियों में अभी बनारस का लंगड़ा और मलिहाबाद के दशहरी नहीं पहुंच रही है बल्कि ओड़‍िसा का लंगड़ा और मानिकपुर की दशहरी की आवक बढ़ी है. वाराणसी स्थित पहाड़िया फल मंडी में हर दिन लगभग 10 ट्रक आम की खेप पहुंच रही है. आम के व्यापारी  ज्ञान चंद्र यादव बताते हैं कि इन दिनों ओड़ि‍सा और पश्चिम बंगाल से आम की आवक बढ़ी है. वहीं यहां से आने वाला आम अभी महंगा है. इस बार मंडी में आने वाले आम का आकार भी पिछले साल के मुकाबले छोटा है, जिसकी वजह से खरीदार कम आ रहे हैं.

बढ़ती गर्मी और ग्राहकों की कमी से आम व्यापारी परेशान

वाराणसी में पिछले 10 दिनों से गर्मी का पारा लगातार बढ़ रहा है. वहीं पहाड़ियां स्थित फल मंडी में फलों को सुरक्षित रखने के लिए कोई मैंगो पैक हाउस भी नहीं है, जिसके चलते फल व्यापारी को काफी नुकसान भी उठाना पड़ता है. मंडी में इन दिनों आम की आवक बढ़ गई है, लेकिन इनकी बिक्री कम होने की वजह से आम को गर्मी से बचाना काफी भारी पड़ रहा है. गर्मी की वजह से आम को सड़ने का खतरा बढ़ रहा है, जिसका नुकसान भी व्यापारी को ही उठाना पड़ता है.

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जलवायु परिवर्तन का आम की फसल पर असर

मार्च महीने से ही लगातार मौसम में बदलाव हो रहे हैं, जिसका असर आम की फसल पर सबसे ज्यादा पड़ा है.  बेमौसम बारिश और ओले पड़ने से आम की फसल को पहले से ही चालीस फ़ीसदी तक नुकसान हो चुका है. वहीं अब फसल तैयार होने के बावजूद भी आम का आकार सामान्य से कम है. ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए आम की गुणवत्ता के साथ-साथ उसका आकार भी खास मायने रखता है, लेकिन इस साल मंडियों में पहुंचने वाले आम का आकार पिछले साल के मुकाबले छोटा है, जिसकी वजह से इन्हे खरीदने में खरीदार कम रुचि दिखा रहे हैं.

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