मध्य प्रदेश के गुना कृषि उपज मंडी में मक्का की जोरदार आवक ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. आवक बढ़ने के बावजूद दाम में तेजी का रुख दिख रहा है. मक्का ने इस बार किसानों, व्यापारियों और मंडी प्रशासन को मालामाल कर दिया है. यह स्थिति उस वक्त देखने को मिली जब अक्टूबर के महीने में सरकार ने मंडी टैक्स में 0.50 फीसदी की कमी कर दी थी. एक अक्टूबर से दस नवंबर के बीच 70 दिनों में मंडी को लगभग 4 करोड़ रुपये मंडी टैक्स मिला है. पहले टैक्स की दर 1.50 फीसदी थी वह घटकर एक फीसदी रह गई, इसके बावजूद अक्टूबर में 2.44 करोड़ मंडी टैक्स वसूला गया. बीते साल 2022 की तुलना में 38 प्रतिशत ज्यादा टैक्स वसूला गया. नवंबर के पहले 10 दिनों में 1.40 करोड़ रुपये मंडी टैक्स मिला.
यदि पिछले दस दिनों की बात करें तो मंडी में 41000 क्विंटल उपज की आवक हुई है. जिसमें से अकेले मक्का की आवक 33000 क्विंटल रही. अक्टूबर नवंबर के महीने में 14 लाख क्विंटल की आवक हुई उसमें अकेले मक्का की 9 लाख क्विंटल यानी 65 प्रतिशत हिस्सेदारी रही. खरीफ सीजन में अब तक मक्का की इतनी आवक दर्ज नहीं की गई थी. इस बार सोयाबीन की फसल पर मक्का हावी रहा है.
मक्का की जोरदार आवक के बावजूद दामों में गिरावट नहीं है. रिकॉर्ड आवक के बावजूद मक्का को उसके सरकारी दाम से 150 रुपये अधिक दाम मिल रहा है. वर्ष 2022 में मक्का का रेट 1975 रुपये प्रति क्विंटल था. जबकि इस बार वर्ष 2023 में रेट 2055 से बढ़कर 2100 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है. इससे किसानों को भी अच्छी आय हो रही है. आमतौर पर देखा जाता है कि जब आवक बढ़ती है तो दाम कम हो जाता है. लेकिन इस साल ऐसा नहीं हुआ क्योंकि मक्के की मांग काफी बनी हुई है.
मंडी सचिव उदयभानु चतुर्वेदी ने बताया कि टैक्स में गिरावट के बावजूद मंडी की आय में बढ़ोतरी हुई है. पिछले साल की तुलना में इस बार मंडी को ज्यादा लाभ हुआ है. मक्का की आवक काफी अधिक है. मक्का की आवक को देखते हुए कई व्यापारियों ने गुना में गोदाम किराए पर ले लिए हैं. इन गोदामों में मक्का का अधिक स्टॉक किया जा रहा है. दरअसल, पोल्ट्री सेक्टर में मक्का की मांग काफी हो रही है. साथ ही मक्के का इस्तेमाल अब इथेनॉल बनाने में भी किया जा रहा है. इसलिए मंडियों में मक्का की आवक बढ़ने के बावजूद उनका दाम एमएसपी से ऊपर चल रहा है.
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