कोसी नदी में उफान से आफत में किसान, कई एकड़ में लगी गरमा फसल बर्बाद

कोसी नदी में उफान से आफत में किसान, कई एकड़ में लगी गरमा फसल बर्बाद

कोसी नदी में अचानक जलस्तर बढ़ने से कई एकड़ में लगी गरमा फसल बर्बाद हो गई. सुपौल जिले के कोसी तटबंध के भीतर रहने वाले लोगों को बाढ़ का डर फिर से सतना शुरू हो गया है.

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कोसी नदी में उफान से आफत में किसान, कई एकड़ में लगी गरमा फसल बर्बादकोसी नदी में उफान से आफत में किसान

बिहार के किसान अच्छेमानसून का इंतजार कर रहे हैं. सूबे के कई जिलों में सूखे के हालात बने हुए हैं. तो दूसरी ओर नेपाल के तराई क्षेत्र में हुई बारिश की वजह से कोसी नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी देखने को मिला. वहीं नदी का जलस्तर बढ़ने की वजह से बिहार के सुपौल जिले के किशनपुर, बसन्तपुर, सरायगढ़, निर्मली, मरौना सहित सदर प्रखंड के दर्जनों गांव के खेतों में पानी घुसने से कई एकड़ में लगी दलहन, सब्जी सहित धान का बीजड़ा बर्बाद हो गया. कोसी नदी का जलस्तर बढ़ने से सुपौल के कोसी तटबंध के भीतर बसे कई गांव के लोगों को संभावित बाढ़ और मानसून से होने वाली तबाही का डर सता रहा है. वहीं पिछले तीन दिनों में कोसी बराज से करीब 70 से 1 लाख 40 हजार क्यूसेक तक पानी डिस्चार्ज किया जा चुका है.

कोसी तटबंध के भीतर रहने वाले किसानों का कहना है कि अचानक नदी का जलस्तर बढ़ने से उनकी गरमा फसल काफी बर्बाद हो गई है. अगर आने वाले दस दिनों के बाद नदी में पानी आया होता, तो मूंग की फसल बर्बाद नहीं हुई होती. अभी कई किसानों ने एकबार भी मूंग की फसल की तुड़ाई नहीं की थी.

कोसी ने किसानों की मेहनत पर फेरा पानी

बिहार की शोक नदी कही जाने वाली कोसी नदी मानसून के आगमन से पहले ही अपना उग्र रूप दिखाना शुरू कर चुकी हैं. कोसी इलाके के भगवानपुर, साहेवन, पिपराही इलाके के रहने वाले किसान कहते हैं कि कोसी नदी में जलस्तर बढ़ने से कोसी उफान पर है. जिससे कोसी का पानी बांध के किनारे तक भर गया है. नदी का जलस्तर अभी नहीं बढ़ा होता तो मूंग, मिर्च, सहित सब्जी की फसल निकल गई होती. पानी में डूबी मूंग के पौधे से फलियां तोड़ती हुई महिला किसान सुलोचना देवी और फुलिया देवी कहती हैं कि पूरी फसल ही बर्बाद हो चुकी है.

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इस गरीबी में कर्ज लेकर खेती किया था. लेकिन कोसी की पानी ने पूरी फसल ही बर्बाद कर दी है. वहीं अब सरकार पर ही भरोसा है. हर साल की भांति इस साल भी किसानों की मेहनत और लाखों की लागत पर कोसी ने पानी फेर दिया हैं.

किसानों ने मुआवजे की मांग

किसान प्रशांत कुमार कहते हैं कि गेहूं की फसल अच्छी नहीं होने के बाद कोसी नदी के पानी की वजह से गरमा फसल भी बर्बाद हुई है. कोसी तटबंध के भीतर रहने वाले किसानों पर कुदरत की दोहरी मार पड़ी है. जिसको देखते हुए सरकार को मुआवजा देना चाहिए. वहीं सुपौल जिला कृषि पदाधिकारी का कहना है कि कोसी नदी में अचानक पानी बढ़ जाने से मूंग कि फसल डूब गई थी. लेकिन अधिकांश किसानों ने मूंग की फलियां तोड़ चुके थे. वहीं कृषि विभाग के पूरी स्थिति पर नजर बनाई हुई है.

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