एक झटके में सड़क पर आ गए पान-सुपारी के सैकड़ों किसान, कालबैसाखी तूफान ने मचाई तबाही

एक झटके में सड़क पर आ गए पान-सुपारी के सैकड़ों किसान, कालबैसाखी तूफान ने मचाई तबाही

Betel Farming: बंगाल के मालदा में कालबैसाखी तूफान ने बड़े स्तर पर तबाही मचाई है. यहां पान और सुपारी की फसल को भारी नुकसान हुआ है. मालदा के कई किसान इन दोनों की खेती करते हैं और अपनी आजीविका चलाते हैं. अब इन किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है और इसके लिए विरोध प्रदर्शन किया है.

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एक झटके में सड़क पर आ गए पान-सुपारी के सैकड़ों किसान, कालबैसाखी तूफान ने मचाई तबाहीमालदा में पान किसानों ने मुआवजे के लिए किया विरोध प्रदर्शन

पश्चिम बंगाल का मालदा इलाका पान और सुपारी की खेती (betel farming) के लिए प्रसिद्ध है. यहां का आम भी मशहूर है, लेकिन पान-सुपारी का नाम अधिक है क्योंकि बंगाल में लोगों को यह बहुत पसंद है. इस बार पान और सुपारी दोनों पर मौसम की बड़ी मार पड़ी है. अभी हाल में कालबैसाखी तूफान ने मालदा की सुपारी की खेती को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया था. इसके बाद दो दिन पहले भी इस तूफान ने सुपारी को तहस-नहस कर दिया है. इस बार सुपारी के साथ पानी की खेती भी पूरी तरह से चौपट हो गई है. पुराने मालदा प्रखंड में मुचिया गांव के कई परिवार पान और सुपारी की खेती करते हैं. लेकिन कालबैसाखी तूफान से हुए नुकसान के बाद किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया और सरकार से मुआवजे की मांग की.

मुचिया गांव मालदा जिले के पान की खेती वाले क्षेत्रों में से एक है. पिछले कुछ दिनों में कालबैसाखी तूफान से पान की फसल बर्बाद हो गई है. तूफान से किसानों की जान चली गई है. यहां करीब 70 परिवार पान की खेती से जुड़े हैं. उनमें से कई ने ब्याज पर पैसा उधार लेकर सुपारी की खेती की. अब उन्हें चिंता है कि पैसा कैसे चुकाया जाए. किसान सोच रहे हैं कि सरकार मुआवजा देगी या किसानों के मरने की स्थिति बन जाएगी. किसान मुआवजे की मांग में सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं आ रहा. 

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पान किसानों ने किया विरोध 

कालबैसाखी तूफान से पान की खेती (betel farming) बर्बाद होने के बाद किसान मुआवजे की राह ताक रहे हैं. वे इसी आस में विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं. मुचिया गांव के कानू मंडल नाम के पान किसान ने कहा, पान की खेती हमारे देश का पुराना धंधा है. गुटखा बाजार में फिलहाल कोई पान नहीं लेना चाहता. पान की खेती पर पहले तूफान, फिर पानी का कहर टूट पड़ा है. लेकिन कोई भी किसानों के साथ खड़ा नहीं हुआ. किसानों ने बार-बार प्रशासन को बर्बादी के बारे में जानकारी दी. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. किसान कानू मंडल कहते हैं, मेरे पास मरने के अलावा कोई चारा नहीं है.

पान किसानों का विरोध प्रदर्शन

किसानों को मिला नेताओं का साथ

इस मामले में राजनीतिक पार्टियों के नेता किसानों के साथ खड़े हुए हैं. नेता खुलकर किसानों का समर्थन कर रहे हैं. मालदा विधानसभा के बरूई गांव में कई परिवार पान पर निर्भर हैं. पान बार के धराशायी होने से किसानों की रोजी-रोटी छिन गई है. किसानों की मांग है कि सरकार को तुरंत मुआवजा देना चाहिए. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उत्तरी मालदा सांगठनिक जिले के उपाध्यक्ष तापस गुप्ता ने बताया कि आंधी में आम के अलावा पान (betel farming) को भारी नुकसान हुआ है. वे कहते हैं, तृणमूल के दौर में प्रशासन अचानक बेकार हो गया है.

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पान और सुपारी (betel farming) के लिए मुआवजा नहीं मिलने पर अखिल भारतीय किसान सभा के मालदा जिलाध्यक्ष प्रणब चौधरी ने मार्च करने की धमकी दी है. प्रणब चौधरी कहते हैं, विपक्ष का विरोध करने का कोई कारण नहीं है. ममता बनर्जी की सरकार किसानों को मुआवजा दिलाएगी. पिछले कई दिनों से मालदा और आसपास के किसान कालबैसाखी तूफान से परेशान हैं. उनकी कई फसलें बर्बाद हुई हैं जिसके लिए वे मुआवजा मांग रहे हैं.

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