खबर का शीर्षक पढ़कर आपको थोड़ा आश्चर्य तो हुआ होगा, लेकिन जल्द ही आपको बाजरे से बने अनेक उत्पाद बाजार में देखने को मिल सकेंगे. इसकी शुरूआत हुई है राजस्थान के सीकर जिले से. यहां नाबार्ड की ओर से 90 महिलाओं को बाजरे से अलग-अलग खाने की चीजें बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. दरअसल, संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स (मोटा अनाज) वर्ष घोषित किया है. भारत सरकार ने यूएन को इसे बाजरा वर्ष घोषित करने का प्रस्ताव दिया था. यूएन ने इसे स्वीकार करते हुए 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किया है. दुनियाभर से 72 देशों ने इसका समर्थन किया है.
राजस्थान में नाबार्ड की ओर से सीकर जिले में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू हुआ है. इसके तहत 90 महिलाओं को बाजरे के अलग-अलग उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. इन उत्पादों को अगले साल यानी अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023 के होने वाले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में प्रदर्शित किया जाएगा.
सीकर में नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक एमएल मीणा ने किसान तक को बताया कि सीकर के रानोली में फिलहाल 90 महिलाओं को बाजरे की रेसिपी बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. यह पायलट प्रोजेक्ट है. आने वाले समय में और भी महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा.
मीणा कहते हैं, “मोटा अनाज सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. बीकानेर कृषि यूनिवर्सिटी ने बाजरे से बिस्किट, नमकीन, कुकीज, केक, मठरी, लड्डू, बर्फी, ढोकला जैसी चीजें बना ली हैं. इसीलिए यह मानना कि बाजरे से रोटी के अलावा कुछ और नहीं बनाया जा सकता, ऐसा नहीं है.”
एमएल मीणा कहते हैं, “ एक किलो बाजरे से बाजार रेट के अनुसार 200 रुपए तक के खाने के आइटम तैयार किए जा सकते हैं. इसमें लागत आधी यानी 100 रुपए ही होती है. इस तरह बचत भी ज्यादा है. फिलहाल बाजरे की कीमत 1800-2000 रुपए प्रति क्विंटल है. इस तरह बाजरे की कीमत से 5 गुना ज्यादा तक मुनाफा मिलता है.”
बाजरा सेहत के लिए फायदेमंद भी होता है. इसे खाने से आयरन की कमी दूर होती है. साथ ही पेट, लीवर जैसे रोगों में भी यह फायदा देता है. महिलाओं एवं बच्चों में बाजरा खाने से आयरन की कमी खत्म होती है. साथ ही पाचन संबंधी रोगों से भी मुक्ति मिलती है.
राजस्थान में देश का सबसे अधिक बाजरा उगाया जाता है. आंकड़े बताते हैं कि देश में 43059 मिलियन टन बाजरा पैदा होता है, इसमें से अकेला राजस्थान 8361 मिलियन टन बाजरा पैदा करता है. इसके बाद महाराष्ट्र 6082 मिलियन टन का नंबर आता है.
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