हरियाणा के करनाल और कैथल जिले में गेहूं में निर्धारित सीमा से अधिक नमी पाई जा रही है. इससे गेहूं खरीद में समस्या आ रही है. अधिकारियों के मुताबिक, गेहूं में नमी की मात्रा की निर्धारित सीमा 12 फीसदी है. जबकि अनाज मंडियों में आने वाले अनाज में नमी की मात्रा 18 फीसदी तक होती है, जिसके कारण खरीद एजेंसियां उपज खरीदने से कतरा रही हैं. कहा जा रहा है कि औसत से कम तापमान होने की वजह से गेहूं की फसल में नमी की मात्रा अधिक है. आने वाले दिनों में बारिश और ओलावृष्टि का भी अनुमान है, जिससे फसल में नमी की मात्रा और बढ़ सकती है. इससे फसल कटाई में और देर लगेगी.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, कैथल जिले में 11 अप्रैल तक 3,397 मीट्रिक टन गेहूं की आवक दर्ज की गई है, जबकि करनाल जिले में 10 अप्रैल तक 17,044 मीट्रिक टन गेहूं की आवक हुई है. किसानों की मांग है कि सरकार गेहूं खरीद के नियमों में ढील दे. उन्होंने कहा कि पिछले कई दिनों से चल रहे कम तापमान ने उच्च नमी सामग्री में योगदान दिया है. किसान सुनील कुमार ने कहा कि मैं गेहूं लेकर यहां आया हूं, लेकिन नमी अधिक होने के कारण आज इसे खरीदा नहीं जा सका. मुझे उम्मीद है कि इसे कल खरीदा जाएगा.
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बीकेयू (सर छोटू राम) के प्रवक्ता बहादुर सिंह मेहला ने कहा कि मौजूदा जलवायु परिस्थितियों के कारण नमी की मात्रा अधिक है और सरकार को गेहूं खरीद के मानदंडों में ढील देनी चाहिए. कैथल के जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक (डीएफएससी) निशांत राठी ने कहा कि बाजार में आने वाले अनाज में निर्धारित सीमा से अधिक नमी है. उन्होंने कहा, किसानों को अनाज मंडियों में साफ और सूखा अनाज लाने की सलाह दी जाती है. करनाल के डीएफएससी अनिल कालरा ने भी पुष्टि की कि उच्च नमी सामग्री वाला गेहूं अनाज बाजारों में आ रहा है.
वहीं, कुछ देर पहले खबर सामने आई थी कि पंजाब में गेहूं कटाई शुरू होने में अभी और वक्त लगेगा. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि रात के कम तापमान के कारण प्रदेश में गेहूं की कटाई में अभी 7 से 10 दिन की देरी हो सकती है. बठिंडा में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के कृषि मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, 1 अप्रैल से अधिकतम तापमान 31 से 38 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा, जबकि औसत न्यूनतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहा है.
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राज्य के कृषि निदेशक जसवंत सिंह ने कहा कि इस सप्ताह के अंत तक बारिश का पूर्वानुमान जारी किया गया है. इससे फसल को नुकसान पहुंच सकता है. उन्होंने कहा कि बाजार का शुरुआती रुझान से पता चलता है कि इस बार गेहूं की आवक पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 98 फीसदी धीमी रही.
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