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जीरे की ऐसे कटाई करें तो बाजार में मिलेगा मुंहमांगा दाम, लाखों रुपये में पहुंच सकती है कमाई

जीरे की ऐसे कटाई करें तो बाजार में मिलेगा मुंहमांगा दाम, लाखों रुपये में पहुंच सकती है कमाई

जीरे में आयरन, कॉपर, कैल्शियम, पोटैशियम, मैंगनीज, जिंक, मैग्नीशियम जैसे कई खनिज पाए जाते हैं. इतना ही नहीं जीरे की खेती से किसानों को अधिक मुनाफा भी मिलता है. जीरे की खेती करके किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. 

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जीरा की कटाई का सही तरीका जीरा की कटाई का सही तरीका

भारत में हर घर की रसोई में जीरा जरूर पाया जाता है. इसका प्रयोग लगभग सभी घरों में किया जाता है. इतना ही नहीं इसका इस्तेमाल कई तरह से भी किया जाता है. कभी सब्जियों का स्वाद बढ़ाने के लिए तो कभी खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए. इतना ही नहीं कई लोग पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए भी जीरे का इस्तेमाल करते हैं. मशालों में जीरे की मांग सबसे ज्यादा है. जीरे में कई औषधीय गुण होते हैं. पेट की कई समस्याओं के लिए जीरा किसी रामबाण से कम नहीं है. वहीं अगर जीरा की कटाई सही ढंग से की जाए तो बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिलती है.

जीरा में पाए जानें वाले पोषक तत्व

जीरे में आयरन, कॉपर, कैल्शियम, पोटैशियम, मैंगनीज, जिंक, मैग्नीशियम जैसे कई खनिज पाए जाते हैं. इतना ही नहीं जीरे की खेती से किसानों को अधिक मुनाफा भी मिलता है. जीरे की खेती करके किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. 

ठंड में की जारी है इसकी खेती

जीरे की खेती ठंड के मौसम में की जाती है. इसलिए इसे रबी फसलों की सूची में शामिल किया गया है. इसके लिए अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेंटीग्रेड और न्यूनतम 10 डिग्री सेंटीग्रेड से कम नहीं होना चाहिए. हमारे देश में लगभग 80 प्रतिशत जीरे का उत्पादन अधिकतर राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में होता है.

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जीरा की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

जीरा के लिए बलुई, दोमट और दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है. इसके अलावा जीरे की खेती उपजाऊ काली और पीली मिट्टी में भी बड़े पैमाने पर की जाती है. यदि खेत में जलभराव हो तो वहां जीरे की फसल न लगाएं. इसके लिए भूमि का पूर्णतः समतल होना आवश्यक है.

फसल में सिंचाई की आवश्यकता

जीरे की फसल में बुआई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए. जीरा बोने के 8 से 10 दिन बाद दूसरी हल्की सिंचाई करें ताकि जीरा पूरी तरह से अंकुरित हो सके. इसके बाद यदि आवश्यक हो तो 8-10 दिन बाद पुनः हल्की सिंचाई कर सकते हैं. इसके बाद दाने बनने तक 20 दिन के अंतराल पर तीन सिंचाई और करनी चाहिए. ध्यान रखें कि पकने के समय जीरे में सिंचाई नहीं करनी चाहिए, ऐसा करने से बीज हल्के हो जाते हैं.

जीरा की कटाई का सही तरीका

आमतौर पर, जब बीज और पौधे भूरे हो जाएं और फसल पूरी तरह पक जाए, तो उसे तुरंत काट लेना चाहिए. पौधों को अच्छी तरह सुखाकर थ्रेशर से मड़ाई कर दानों को अलग कर लेना चाहिए. अनाज को अच्छी तरह सुखाकर साफ बोरियों में संग्रहित करना चाहिए.