भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के मुताबिक अपने देश में विदेशी साग-सब्जियों का सालाना बिजनेस 15 से 20 फीसदी की दर से बढ़ रहा है. नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया और टेक्नोपैक की स्टडी के अनुसार भारत में फूड सर्विस का बाजार 2024 में 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है यानी की भारतीय आइटी उद्योग जितना अपना समान विदेशों में निर्यात करता है उतने का बाजार फूड सर्विस का है. यह भारतीय कृषि के लिए एक शुभ संकेत है. देश-विदेश में विदेशी सब्जियों की बढ़ती मांग और अधिक रेट मिलने के चलते विदेशी सब्जियों की खेती की ओर देश के किसान तेजी से कदम बढा रहे हैं. इन्ही में से एक है जुकीनी की खेती. जुकिनी की मांग फाइव स्टार होटलों और रेस्तरां में काफी बढ़ी है. कई तरह के विटामिनों से भरपूर जुकीनी विदेशों में स्कवैश और भारत में छप्पन कद्दू के नाम से जाना जाता है.
दुनिया भर में उगाई जाने वाली स्वादिष्ट सब्जियों में से एक जुकीनी ह्यूमन हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद है. इसकी खेती लगभग सभी तरह की मिट्टी में की जा सकती है. बस ध्यान ये रखना है की इसकी खेती जिस मिट्टी में की जाए उसका पीएच साढे 5 से साढे 6 के बीच होना चाहिए. अपने देश में जुकीनी की खेती गर्मी और जाड़े दोनों ही मौसम में की जाती है. गर्मी में उगने वाली फसल को समर स्कवैश फरवरी से अप्रैल तक होती है और इसकी बुवाई फरवरी मार्च में करते है. सर्दियों में उगने वाली फसल को विंटर स्कवैश के नाम से जाना जाता है. इसको जाड़े के लिए बुआई का समय सितंबर से नवंबर के बीच होता है. तीसरी फसल अप्रैल से अगस्त तक की जाती है जिसकी बुवाई अप्रैल और जून तक होती है.
जुकीनी (छप्पन कद्दू) की फसल से अच्छी गुणवत्ता और अधिक उपज प्राप्त करने के लिए जुकीनी की किस्मों का चयन करना बहुत महत्वपूर्ण है. चप्पन कद्दू की खेती के लिए बाजार में कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं, उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
गोल्ड रश - इस किस्म के फल बेलनाकार और एक समान होते हैं जो 45 दिनों में तोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं.
कोस्टाटा रोमानेस्को - इस किस्म का फल हरे रंग का होता है और 52 दिनों में तोड़ने के लिए तैयार हो जाता है।.
राजदूत - इस किस्म के फल गहरे हरे रंग के होते हैं और बुआई के लगभग 50 दिन में तोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं.
सेनेका - इस किस्म का फल बेलनाकार होता है, जो 42 दिन में तोड़ने के लिए तैयार हो जाता है.
स्पेस मिसर - इस प्रकार का फल हरे रंग का होता है, जिसे बुआई के लगभग 45 दिन बाद काटा जा सकता है.
आठ गोले - इस किस्म के फल गहरे हरे रंग के होते हैं तथा बुआई के 40 से 45 दिन में पक जाते हैं.
इसके आलावा जुकीनी की किस्मों में बनाना स्कवैश, एक्रॉन स्कवैश, एंबरकप स्कवैश, कार्निवल स्कवैश, टर्बन स्कवैश, डंपलिंग स्कवैश, डेलिकेटा स्कवैश और फेरीटेल पंपकीन स्कवैश भी प्रमुख हैं.
एक एकड़ में जुकीनी की खेती के लिए दो किलो बीज की जरूरत होती है. इसकी बुआई सीधे बीज से या नर्सरी तैयार करके की जा सकती है. जुकीनी की बुआई या रोपाई करते समय एक बात जरूर ध्यान दें कि पौधे से पौधे की दूरी 1 से डेढ़ फीट रखें. अगर बीज लगा रहे हैं तो एक थाले में 3-4 बीज लगाएं. लेकिन, तब भी दूरी उतनी ही रखें. इसकी रोपाई हमेशा मेड़ों पर करें रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई ज़रूर करें.
जुकीनी लगाने के 50- 60 दिन बाद पौधों में फल आने लगते हैं, जिसे हर दो दिन के अंतराल पर फलों को तोड़ना पड़ता है. जुकीनी के एक पौधे से एक सीजन में 40 फल मिल जाते हैं. इसका मतलब है कि एक एकड़ खेत से लगभग 80 से 100 क्विंटल के करीब उपज मिल जाती है, जिसे बाजार में बेचकर आप लाखों की कमाई कर सकते हैं.
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