लगातार बढ़ती खाद्य महंगाई दर को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने खाद्य तेल आयात पर इंपोर्ट टैक्स कम लागू रखने का फैसला किया है. सरकार के ताजा आदेश के अनुसार खाद्य तेलों के लिए कम आयात कर व्यवस्था मार्च 2025 तक लागू रहेगी. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और नंबर एक वनस्पति तेल आयातक है. भारत अपनी 60% खाद्य तेल की जरूरत को विदेश से तेल खरीद कर पूरी करता है.
वित्त मंत्रालय के सर्कुलर में कहा गया है कि कम किया गया शुल्क मार्च 2024 में समाप्त होने वाला था वह अब मार्च 2025 तक जारी रहेगा. सरकारी आदेश में के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों रिफाइंड सोयाबीन तेल और रिफाइंड सनफ्लॉवर ऑयल पर कम आयात शुल्क व्यवस्था को 25 मार्च तक बढ़ा दिया है.
रिफाइंड सोयाबीन तेल और रिफाइंड सनफ्लॉवर ऑयल पर बेसिक आयात शुल्क 17.5% से घटाकर 12.5% कर दिया गया. शुल्क में इस कटौती से इन तेलों की पहुंच लागत कम हो जाएगी, जिससे घरेलू कीमतें नीचे आ जाएंगी.
नवंबर में खाद्य महंगाई दर पिछले महीने की 6.61% की तुलना में बढ़कर 8.70% पर पहुंच गई. खाद्य महंगाई बढ़ने से परिवारों पर रसोई खर्च का बोझ पड़ रहा है. 2024 में आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह महंगाई दर सरकार के लिए चिंता का कारण बनी हुई है. महंगाई से निपटने के लिए सरकार लगातार कई बदलाव कर रही है.
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और नंबर एक वनस्पति तेल आयातक है. भारत अपनी 60% खाद्य तेल की जरूरत को विदेश से तेल खरीद कर पूरी करता है. भारत में प्रमुख रूप से सरसों, पाम ऑयल, सोयाबीन और सनफ्लॉवर से बने खाद्य तेलों की खपत होती है. इन तेलों की सर्वाधिक खरीद इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देशों से होती है.
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