केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने शनिवार को कहा कि सरकार अगले कुछ दिनों में चीनी के न्यूनतम विक्रय मूल्य (MSP) को बढ़ाने पर निर्णय ले सकती है. अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (AISTA) द्वारा आयोजित एक सम्मेलन के मौके पर बोलते हुए, चोपड़ा ने कहा कि हम MSP (प्रस्ताव) पर चर्चा कर रहे हैं. आने वाले दिनों में, हम उम्मीद करते हैं कि हम कोई निर्णय लेंगे. गन्ना किसानों को दिए जाने वाले उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) में वार्षिक बढ़ोतरी के बावजूद, 2019 से चीनी का MSP 31 रुपये प्रति किलोग्राम पर अपरिवर्तित बना हुआ है.
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखानों के महासंघ (NFCSF) सहित उद्योग निकायों ने सरकार से बढ़ती उत्पादन लागत के बीच मिलों को संचालन बनाए रखने में मदद करने के लिए MSP को कम से कम 42 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ाने का आग्रह किया है. चोपड़ा ने कहा कि 2024-25 सीजन (अक्टूबर-सितंबर) के लिए चीनी उत्पादन आशाजनक दिख रहा है, जिसमें पिछले साल की समान अवधि के 57 लाख हेक्टेयर से अब तक गन्ने की बुवाई का रकबा बढ़कर 58 लाख हेक्टेयर हो गया है.
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2023-24 सीजन के लिए, चीनी उत्पादन 32 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो पिछले सीजन के 32.8 मिलियन टन से कम है. लेकिन 27 मिलियन टन की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. इससे पहले, कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, खाद्य सचिव ने यह भी उल्लेख किया कि कृषि मंत्रालय विभिन्न फीडस्टॉक्स से इथेनॉल उत्पादन के लिए पानी की आवश्यकताओं का मूल्यांकन करने के लिए अनुसंधान कर रहा है. प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि गन्ने से इथेनॉल बनाने के लिए मक्का और चावल से इथेनॉल की तुलना में कम पानी की आवश्यकता हो सकती है.
वहीं, कल खबर सामने आई थी कि खाद्य मंत्रालय ने शुक्रवार को अगस्त के दौरान घरेलू बिक्री के लिए 22 लाख टन चीनी का कोटा आवंटित करने की घोषणा की है. वहीं, जुलाई में लगभग 2 लाख टन बिना बिक्री मात्रा के साथ इसकी पूर्ति होने की संभावना है, जिससे अगले महीने कुल उपलब्धता 24 लाख टन हो जाएगी. इसे मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त माना जा रहा है. दरअसल, चीनी और वनस्पति तेल निदेशालय ने सभी चीनी मिलों को लिखे पत्र में कहा है कि योजना के तहत निर्यात कोटा सहित सभी कोटा जारी किए जाने पर समूह और व्यक्तिगत चीनी मिल को दिया जाएगा.
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