सरकार बासमती चावल की MEP पर ले सकती है बड़ा फैसला, जानें क्या है केंद्र की प्लानिंग

सरकार बासमती चावल की MEP पर ले सकती है बड़ा फैसला, जानें क्या है केंद्र की प्लानिंग

पिछले साल अक्टूबर महीने के दौरान सरकार ने बासमती चावल की खेप के लिए एमईपी को 1,200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 डॉलर प्रति टन कर दिया था. हालांकि, निर्यातकों ने कहना है कि अधिक एमईपी घरेलू कीमतों के लिए नुकसानदेह होगा. इसके चलते बासमती चावल की कीमतों में गिरावट आएगी.

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सरकार बासमती चावल की MEP पर ले सकती है बड़ा फैसला, जानें क्या है केंद्र की प्लानिंगभारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है.

केंद्र सरकार बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात शुल्क (एमईपी) को कम कर सकती है. इसके लिए वह प्लानिंग कर रही है. अभी तक सरकार की चावल निर्यातकों के साथ कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है. उसे उम्मीद है कि एमईपी में कटौती करने से भारतीय बासमती चावल का कॉम्पिटिशन विश्व मार्केट में बढ़ जाएगा. इससे निर्यात में तेजी आएगी. हालांकि, अभी बासमती चावल का एमईपी 950 डॉलर प्रति टन है. जबकि, बासमती की कई किस्मों की कीमतें एमईपी से कम हो गई हैं, जिससे व्यापारियों को आर्थिक नुकसान हो रहा है.

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बासमती चावल के निर्यात में गिरावट आने से इसका स्टॉक बढ़ गया है. इससे इसका रेट मंडियों में गिर गया है. अभी 1509 बासमती धान का मंडी रेट  2500 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि एक साल पहले यह 3000 रुपये प्रति क्विंटल था. वहीं, अगले महीने के अंत तक बासमती की किस्म पूसा 1121 की नई उपज की आवक शुरू होने की उम्मीद है. इससे प्रीमियम किस्म पूसा 1121 की कीमतें पिछले साल के 4000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर से नीचे आने की भी बात कही जा रही है.

ऐसे भी इस साल बासमती धान के रकबे में बंपर बढ़ोतरी हुई है. खास कर पंजाब में इस वर्ष बासमती की खेती के रकबे में 12 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज की है, जो 0.67 मिलियन हेक्टेयर है. इससे बासमती चावल का उत्पादन पिछले वर्ष के 70 लाख टन से 10 फीसदी अधिक होने का अनुमान है.

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कितनी है बासमती चावल की खपत

दरअसल, पिछले साल अक्टूबर महीने के दौरान सरकार ने बासमती चावल की खेप के लिए एमईपी को 1,200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 डॉलर प्रति टन कर दिया था. हालांकि, निर्यातकों का कहना है कि अधिक एमईपी घरेलू कीमतों के लिए नुकसानदेह होगा. इसके चलते बासमती चावल की कीमतों में गिरावट आएगी. पिछले साल 70 लाख टन बासमती चावल में से, केवल 20 लाख टन की ही घरेलू स्तर पर खपत हुई थी. इससे भी कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है.

बासमती चावल के प्रमुख निर्यातक चमन लाल सेतिया एक्सपोर्ट्स के प्रबंध निदेशक विजय सेतिया ने कहा कि पिछले साल 5.83 बिलियन डॉलर मूल्य के रिकॉर्ड 50 लाख टन से अधिक सुगंधित चावल का निर्यात किया. खास बात यह है कि 2024-25 की अप्रैल-मई अवधि के दौरान देश ने 9 लाख टन से अधिक बासमती चावल का निर्यात किया, जो पिछले साल की समान अवधि के तुलना में 15 फीसदी अधिक है.

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कितनी है पाकिस्तान की हिस्सेदारी

बता दें कि भौगोलिक संकेत-टैग वाले बासमती चावल की खेती पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और उत्तराखंड के 70 से अधिक जिलों में की जाती है. सुगंधित और लंबे दाने वाले चावल की वैश्विक बाजार में अच्छी कीमत है. विश्व सुगंधित चावल बाजार में भारत की हिस्सेदारी लगभग 75 से 80 फीसदी है, जबकि बासमती चावल निर्यात में पाकिस्तान की हिस्सेदारी लगभग 20 प्रतिशत है.

 

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