बाढ़ के काऱण गन्ना फसल को भारी नुकसान पहुंचा है. इसमें मुख्य रूप से उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के लक्सर के लिब्बरेड़ी व इकबालपुर क्षेत्र और हरियाणा के यमुना नगर औऱ अंबाला सहित कई क्षेत्र शामिल हैं. इन सब इलाकों में 50 से 60 प्रतिशत गन्ने की फसल को नुकसान हुआ है और बची हुई फसल में लाल सड़न रोग की आशंका अधिक रहती है. इसमें मुख्य रूप से देर से बोए गए गन्ने को बाढ़ और बारिश के कारण अधिक नुकसान हुआ है. इस तरह के नुकसान से बचने के लिए, किसानों को फरवरी में शरद ऋतु या वसंत ऋतु में गन्ना बोने का प्रयास करना चाहिए.
भारतीय गन्ना अनुसंधान सस्थान, लखनऊ के पूर्व चीफ साइंटिस्ट रहें डॉ एस. एन सिंह ने लिब्बरहेडी चीनी मिल परिक्षेत्र के किसानों के खेत का दौऱा किया उन्होंने बताया कि देऱ से बोए गए गन्ने में बाढ़ और बारिश से ज्यादा नुकसान हुआ है.उन्होंने कहा कि इस तरह की परिस्थिति से बचने के लिए गन्ने की बुवाई निचले इलाके में शरद कालीन गन्ने या फरवरी में ही बंसतकालीन गन्ने की बुवाई करने का प्रयास करें ताकि विशेष रूप से निचले इलाकों में इसकी देर से बुआई के कारण बाढ़ और बाऱिश के नुकसान से बचा जा सके. कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि किसानों को बारिश का पानी उतरने के बाद फसल की स्थिति पर नजर रखनी होगी.अगर 50 फीसदी से अधिक गन्ने के पौधे जीवित प्रतीत होते हैं, तो हम गन्ने के पौधों की वृद्धि और शक्ति को बढ़ाने के लिए एनपीके और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों का गन्ने के पत्ते पर प्रयोग कर सकते हैं.अगर गन्ने की फसलें 50 फीसदी से भी कम बचती नजर आती हैं तो उस फसल को बचाने के लिए किसी प्रकार के कृषि कार्य करना आर्थिक रूप से बहुत सही नहीं होगा.
डॉ एस. एन सिंह ने ने सुझाव दिया कि गन्ने की फसल में ज्यादा पानी लगा है तो पंपिंग सेट और अन्य संभावित उपायों का उपयोग करके जितना संभव हो सके जलमग्न गन्ने के खेतों से बारिश के पानी को निकालने की जरूरत है इसके बाद फरवरी-मार्च में रोपी गई हमारी फसल को बारिश का पानी उतरने के बाद एनपीके और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों का गन्ने के पत्ते पर प्रयोग करके फसल को से बचाने की जरूरत है.गन्ने की फसल में अधिक पानी लगने के कारण लाल सड़न रोग की समस्या फसल मे हो सकती है. इसलिए पौध सुरक्षा विशेषज्ञ की सलाह लेकर रोगनिरोधी/एहतियाती उपायों को अपनाने की जरूरत है उन्होंने कहा शरद ऋतु में गन्ने की बुआई के लिए क्षेत्र बढ़ाने की आवश्यकता है जो इन बाढ़ों को काफी हद तक सहन कर सके.
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गन्ना की दो किस्में Co 0118 और Co 0239 जलभराव की स्थिति के लिए उपयुक्त है इसकी स्क्रीनिंग कर इसकी इस एरिया के किसानों के लिए प्राथमिकता के आधार खेती के लिए बढ़ावा दिया जा सकता है.अधिकांश गन्ने के खेतों में काले रंग का पानी भर गया है, जो गन्ने की पत्तियों को भी नुकसान पहुंचा रहा है, जिसमें जंग जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं उन्होंने सुझाव दिया कि गन्ना विकास कर्मचारियों का गन्ना किसानों के खेतों में बार-बार दौरा करना और क्षेत्र के गन्ना किसानों द्वारा अपनाए जाने वाले ऑन-फील्ड सुझाव/उपाय वास्तव में समय की मांग है।
हरिद्वार जिले के गन्ना किसानों ने कहा भारी बारिश भारी नुकसान पहुंचा है.इसलिए गन्ना किसानों ने कहा है कि सभी फसलो के प्रति बीघे15000 प्रति बीघे का मुआवजा मिलना चाहिए. उनकी दूसरी मांग है कि जिन किसानों के पास कृषि कार्ड और सहकारी समितियों का ऋण है, उसे माफ कर देना चाहिए.तीसरी मांग है कि बिजली बिल माफ किया जाए.साथ ही कहा है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.हरिद्वार जिले में किसान अधिकतर गन्ने की खेती करते हैं,लेकिन जुलाई के दूसरे हफ्ते में हुई भारी बारिश ने गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचाया है.
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पिछले दिनो इस जिले के गन्ना आयुक्त ने लेखाकार,गन्ना पर्यवेक्षक, ग्राम विकास अधिकारी की टीम बनाकर गन्ने का सर्वे कर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है.इसके बाद उन्होंने कहा कि लक्सर क्षेत्र में 70 प्रतिशत और लिब्बरेड़ी व इकबालपुर क्षेत्र में 40 प्रतिशत फसल बर्बाद होने की आशंका जताई है.इसके बाद राज्य के कृषि मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि लक्सर के खानपुर और मंगलौर में 53,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बोई गई फसलें नष्ट हो गई हैं.उनके मुताबिक करीब 38 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया है.इन क्षतिग्रस्त फसलों में गन्ना,धान और सब्जियां शामिल हैं.कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि मुआवजे के अलावा वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से केंद्र सरकार के मानदंडों के अनुसार आपदा राहत कोष से किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का अनुरोध करेंगे उनकी ब्याज माफी की मांग है पर भी विचार किया जाएगा.
इसकेबाद लक्सर और खानपुर क्षेत्र में आई भीषण बाढ़ उत्तराखंड के गन्ना मंत्री सौरभ बहुगुणा लक्सर पहुंचे और बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया. इस बीचमंत्री सौरभ बहुगुणा ने बाढ़ प्रभावित किसानों से मुलाकात की और उन्हें उनकी फसलों के नुकसान का उचित मुआवजा देने का आश्वासन दिय.उन्होंने संबंधित अधिकारियों को गन्ने की फसल का आकलन कर जल्द रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं. रिपोर्ट बनाने के बाद वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात करेंगे और किसानों को उचित मुआवजा देंगे.
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