Crop Payment: अरहर, प्याज ही नहीं धान और कपास खरीद का भुगतान तुरंत होगा, पेमेंट सिस्टम तेज कर रही सरकार 

Crop Payment: अरहर, प्याज ही नहीं धान और कपास खरीद का भुगतान तुरंत होगा, पेमेंट सिस्टम तेज कर रही सरकार 

अरहर की खरीद के तुरंत बाद किसान के बैंक खात में पैसा ट्रांसफर किया जाएगा. इसके अलावा प्याज खरीद का भुगतान भी 48 घंटे के अंदर की जाएगी. इसके अलावा धान, कपास समेत अन्य फसलों की खरीद का भुगतान भी तेज करने पर सरकार का फोकस है.

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Crop Payment: अरहर, प्याज ही नहीं धान और कपास खरीद का भुगतान तुरंत होगा, पेमेंट सिस्टम तेज कर रही सरकार तेज भुगतान प्रक्रिया धान, कपास समेत अन्य फसलों की खरीद पर भी सरकार लागू कर सकती है.

अरहर की खरीद के तुरंत बाद किसान के खातों में पैसा ट्रांसफर किया जाएगा. इसके अलावा प्याज खरीद का भुगतान भी 48 घंटे के अंदर करने की योजना पर सरकार काम कर रही है. इसके अलावा धान, कपास समेत अन्य फसलों की खरीद का भुगतान भी तेज करने पर सरकार का फोकस है. ताकि, किसानों को उत्पादन में बढ़ोत्तरी के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. केंद्र सरकार ऑनलाइन पेमेंट को बढ़ावा दे रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर माध्यम से भुगतान प्रक्रिया लागू की जा सकती है. 

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार अरहर और प्याज की खरीद के लिए किसानों को खरीद के 48 घंटों के भीतर सीधे उनके बैंक खातों में राशि भुगतान करने की योजना बना रही है. माना जा रहा है कि तेज भुगतान प्रक्रिया धान, कपास समेत अन्य फसलों की खरीद पर भी सरकार लागू कर सकती है. 

भुगतान में देरी की वजह 

अब तक दालों और प्याज की दो खरीद एजेंसियां भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ लिमिटेड  किसान संघों या सहकारी समितियों को भुगतान कर रही थीं, जो आगे किसानों को भुगतान कर रहे थे. इस प्रक्रिया में समय लगता है और इसलिए सरकार इसे डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) से बदलने की योजना बना रही है. 

तेज भुगतान से किसान प्रोत्साहित होंगे 

रिपोर्ट में कहा गया है कि तेज भुगतान लागू होने से किसानों को अरहर और प्याज उगाने के लिए प्रोत्साहित करने और इन दोनों फसलों की खेती का रकबा बढ़ाने में मदद मिलेगी. रकबा बढ़ाने से उत्पादन को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी. बता दें कि दोनों फसलों के आयात पर भारी निर्भरता के कारण मोजांबिक और बर्मा (म्यांमार) जैसे देश हमारे लिए शर्तें तय कर रहे हैं. 

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खरीफ सीजन में रकबा घटने से उत्पादन गिरा

खरीफ सीजन के दौरान अरहर और प्याज फसलों की बुवाई कम हुई है, जिससे रकबा घट गया है. ऐसे में उत्पादन में कमी देखी गई है, जिसके चलते पिछले कुछ महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति भी बढ़ गई. सरकारी आंकड़ों के अनुसार 29 सितंबर 2023 को तुअर यानी अरहर का क्षेत्रफल घटकर लगभग 4.39 मिलियन हेक्टेयर हो गया, जो एक साल पहले 4.61 मिलियन हेक्टेयर से अधिक था. 

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