पंजाब और हरियाणा के किसानों को टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाकर खेती करने पर कार्बन क्रेडिट का लाभ मिलेगा. आमतौर पर पर्यावरण को बचाने के तरीकों को अपनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों को कार्बन क्रेडिट का लाभ मिलता है. एक कार्बन क्रेडिट की कीमत 3 हजार रुपये से अधिक होती है. भारत के चावल और गेहूं उत्पादक राज्यों में पर्यावरण को देखते हुए टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने की पहल में पंजाब और हरियाणा के किसानों को सीधी बुआई और कम जुताई जैसी पद्धतियों को अपनाने के लिए कार्बन क्रेडिट का लाभ दिया जाएगा.यह कार्बन खेती कार्यक्रम एक निजी संस्था ग्रो इंडिगो (GIPL) की ओर से शुरू किया गया है, जो घरेलू बीज प्रमुख महिको (Mahyco) और यूएस-आधारित इंडिगो (Indigo) के बीच एक ज्वाइंट वेंचर है.
ग्रो इंडिगो के उमंग अग्रवाल के अनुसार कार्बन प्रोग्राम का ऑडिट कार्बन स्टैंडर्ड वेरा (Verra) प्रोटोकॉल के तहत पूरा हो गया है, जो एक वैश्विक वॉलंटरी ग्रीनहाउस गैस (GHG) रिड्यूस प्रोग्राम है. वेरा (Verra) के प्रमाणीकरण के आधार पर अगले कुछ महीनों में किसानों को कार्बन क्रेडिट दिया जाएगा. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उमंग अग्रवाल ने कहा कि हमारा कार्बन प्रोग्राम खाद्य कंपनियों को कम उत्सर्जन वाली फसलें खरीदने में मदद करता है. इससे किसानों को या तो कार्बन क्रेडिट के माध्यम से कमाई करने या अपनी उपज के लिए प्रीमियम हासिल करने का विकल्प मिलता है. ग्रो इंडिगो किसानों को बेहतर कीमतों के लिए उनकी उपज की मार्केटिंग करने में मदद करेगा. ग्रो इंडिगो वर्तमान में इस प्रोग्राम के तहत 300,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र के साथ कंपनी अगले कुछ वर्षों में 1.5 मिलियन हेक्टेयर तक विस्तार करने का लक्ष्य लेकर चल रही है.
कार्बन खेती प्रोग्राम में रजिस्टर्ड किसान प्रति एकड़ सालाना एक कार्बन क्रेडिट हासिल कर सकते हैं और वर्तमान में एक कार्बन क्रेडिट का मूल्य 40 डॉलर (3,318 रुपये) है और यह एक टन Co2 उत्सर्जन में कमी के बराबर है. किसानों को मिलने वाले कार्बन क्रेडिट को उनसे कई सेक्टर के उद्योग खरीद सकते हैं. इनमें विमानन, खनन या उर्वरक के निर्माता, जो अपने व्यवसाय की प्रकृति के कारण कार्बन को कम करने की स्थिति में नहीं हैं. ऐसे लोग किसानों से कार्बन क्रेडिट खरीदेंगे.
रिपोर्ट के अनुसार जो किसान खेती की यह तकनीक अपनाते हैं उनसे धान की सीधी बुआई में पानी के उपयोग की कैपेसिटी सुधरती है और बिना जुताई की प्रथा अपनाना मिट्टी के जैविक बायोमास को संरक्षित करती है. धान और गेहूं की रोपाई से पहले कार्बन क्रेडिट प्राप्त करने के लिए कार्बन प्रोग्राम में रजिस्टर कराते हैं. वर्तमान में ग्रो इंडिगो ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र सहित 15 राज्यों में चावल, गेहूं, मक्का, कपास, गन्ना और कृषि वानिकी जैसी फसलों को कवर करते हुए चार प्रोजेक्ट शुरू किए हैं.
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