खेती अगर पारंपरिक तौर तरीकों से अलग हटकर आधुनिक तरीके से की जाए तो वो फायदे का सौदा साबित हो सकती है. आज के दौर में ऐसे कई उद्योग हैं जिन्हें कृषि के साथ बढ़ रहे हैं. इस लिस्ट में रेशम उद्योग भी शामिल है. यह एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें आप रेशम के कीड़ों द्वारा रेशम का उत्पादन कर अच्छी कमाई कर सकते हैं. महाराष्ट्र में किसान अब बड़े पैमाने रेशम की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. वो इससे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. रेशम कीड़ों से पैदा होता है. इसकी अच्छी किस्मों का चयन करिए और फायदा कमाइए.
फैशन के इस दौर में रेशम से निर्मित वस्त्रों का चलन काफी तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कारण मार्केट में इसकी मांग निरंतर बढ़ती जा रही है.ऐसे में यह व्यवसाय किसानों के आय के लिए एक बेहतर विकल्प है. किसान रेशम की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
रेशम का उत्पादन रेशम के कीड़े द्वारा होता है, जिसे हम रेशमकीट पालन कहते हैं भारी मात्रा में रेशम उत्पादन के लिए रेशम उत्पादक जीवों का पालन करना होता है. रेशम की बढ़ती मांग के कारण अब यह एक उद्योग बन चुका है, जिसे हम कृषि आधारित कुटीर उद्योग कहते है. खास बात यह है, कि इस उद्योग को बहुत ही कम लागत में लगाया जा सकता है और आप यह कार्य कृषि कार्यों और अन्य घरेलू कार्यों के साथ बड़ी आसानी से कर सकते है.रेशम उत्पादन के मामले में विश्व में चीन के बाद भारत दूसरे स्थान पर आता है.
शहतूती रेशम ,गैर शहतूती रेशम,एरी या अरंडी रेशम,मूंगा रेशम,ओक तसर रेशम,तसर (कोसा) रेशम ये रेशम की अच्छी किस्में हैं जो रेशम कीट के विभिन्न प्रजातियों से प्राप्त होती हैं.
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शहतूत के पौधों को लगानें के लिए ऐसी भूमि होनी चाहिए, जो उसरीली न हो. इसके साथ ही सिंचाई की व्यवस्था के अलावा पानी का ठहराव न हो मुख्यत बलुई-दोमट भूमि शहतूत वृक्षारोपण के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है परन्तु वहां उचित जल निकासी की व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए.
रेशम की बढ़ती मांग को देखते हुए इसमें इसमें रोजगार की संभावनाएं काफी अधिक हैं.चूँकि आज के फैशन युग में इसकी डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है, ऐसे में यह व्यवसाय एक अच्छी आमदनी का स्त्रोत बनता जा रहा है. भारत पांच किस्म के रेशम मलबरी, टसर, ओक टसर, एरि और मूंगा सिल्क का उत्पादन करने वाला अकेला देश है. मूंगा रेशम के उत्पादन में भारत का एकाधिकार है. यह एक प्रकार से कृषि क्षेत्र की नकदी फसल है, जो 1 माह अर्थात 30 दिनों के अन्दर प्रतिफल प्रदान करती है.
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भारत में मुख्य रूप से शहतूत पर कीटों द्वारा रेशम उत्पादन पश्चिम बंगाल,कर्नाटक,महाराष्ट्र,जम्मू और कश्मीर, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में किया जाता है, जबकि शहतूत के पेड़ों के अलावा अन्य पेड़ो पर रेशम कीट पालन द्वारा रेशम उत्पादन झारखण्ड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों में होता है.
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