Success Story: बाराबंकी के वकील साहब बने फूलों की खेती के मास्टर, कर रहे लाखों की कमाई

Success Story: बाराबंकी के वकील साहब बने फूलों की खेती के मास्टर, कर रहे लाखों की कमाई

यूपी के बाराबंकी जिले के देवाब्लॉक के दफेदार पुरवा में फूलों की खेती करने वाले किसान मोइनुद्दीन ने अपनी कुशलता से गांव को फूलों की खेती के लिए आदर्श बना दिया है. उन्होंने साल 2002 में वकालत छोड़कर फूलों की खेती करना शुरू किया और लाखों की आमदनी प्राप्त कर रहे हैं.

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Success Story: बाराबंकी के वकील साहब बने फूलों की खेती के मास्टर, कर रहे लाखों की कमाईवकील मोइनुद्दीन फूलो की खेती से कर रहे हैं लाखों की कमाई

यूपी के बाराबंकी जिले के देवाब्लॉक के दफेदार पुरवा में फूलों की खेती करने वाले किसान मोइनुद्दीन ने अपने उद्यानिक कुशलता से गांव को गुलजार बना दिया है. वे साल 2002 में वकालत छोड़कर फूलों की खेती करने लगे और ग्लेडियोलस फूलों की खेती शुरू की और लाखों की आमदनी करने लगे. इससे मिले अच्छे मुनाफे ने और किसानों को प्रेरित कर दिया. गांव में फूलों की खेती के क्षेत्र में विस्तार हुआ और गांव को "फूलों का गांव" कहा जाने लगा है. मोइनुद्दीन ने यूपी में पहला पॉली हाउस स्थापित किया और उसमें जरबेरा की खेती कर लाखों की आमदनी कर रहें हैं. वकील साहब से फूलों की खेती के मास्टर बनकर लाखों की कमाई कर रहे  मोइनुद्दीन अपने जिले के रोल मॉडल बन चुके हैं.

वकील साहब बने फूलों की खेती के मास्टर

लखनऊ से एलएलबी पास करने के बाद मोइनुद्दीन का मन वकालत की प्रैक्टिस में नहीं लगा तो उन्होंने अपना पुश्तैनी गांव छोड़ दिया. फिर बाराबंकी में उन्होंने पारंपरिक खेती छोड़कर फूलों की खेती शुरू कर दी. सबसे पहले एक बीघे खेत में विदेशी ग्लेडियोलस फूलों की खेती शुरू की. एक बीघे में 15 हजार ग्लेडियोलस फूलों की खेती से सिर्फ चार से पांच महीने में ही उन्हें 40-45 हजार रुपये का मुनाफा हुआ.

परंपरागत खेती की तुलना में बेहतर मुनाफे ने किसानों का ध्यान इस खेती की ओर खींचा और मोइनुद्दीन की सलाह से गांव के कुछ किसानों ने इस खेती में हाथ आजमाया. ग्लेडियोलस के फूलों से अच्छी आमदनी ने किसानों का हौसला बढ़ा दिया.  देखते ही देखते पूरा गांव ग्लेडियोलस की खेती करने लगा. आज स्थिति यह है कि गांव के ज्यादातर किसान फूलों की खेती करने लगे हैं. गांव  में ग्लोयडियोलस की खेती 50 एकड़ से ऊपर होने लगी है. दफेदर के पूरवा को फूलों का गांव कहा जाने लगा है.

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यूपी में सबसे पहले की शुरुआत

मोइनुद्दीन यहीं नहीं रुके. इसके बाद उन्होंने हॉलैंड के विदेशी फूल जरबेरा की खेती के लिए साल 2009 में उत्तर प्रदेश में पहला पॉली हाउस लगाकर इसकी शुरुआत की. इससे उन्हें साल भर में 5 लाख रुपये तक की कमाई होने लगी. आज के समय में करीब 6 एकड़ क्षेत्र में ग्लेडियोलस फूलों की खेती कर रहे हैं और एक एकड़ में जरबेरा फूल की खेती कर रहे हैं. मोइनुद्दीन ने बताया कि उन्होंने ग्लेडियोलस फूलों की खेती के बाद पॉली हाउस में और भी बड़ा कारोबार शुरू किया है, जिसमें उन्होंने विदेशी फूल जरबेरा की खेती की है. उनकी सालाना कमाई लगभग 70 से 75 लाख रुपये है.

ग्लोडियोलस फूल के खेत में मोइनुद्दीन
ग्लेडियोलस फूल के खेत में मोइनुद्दीन

फूलों की खेती का अर्थशास्त्र

मोइनुद्दीन ने किसान तक को बताया कि सामान्य खेती की तुलना में फूलों की खेती में बड़ा फायदा है. उनके मुताबिक, सामान्य खेती में प्रति एकड़ 30-40 हजार रुपये की बचत होती है, जबकि पॉलीहाउस खेती से उसी जमीन पर प्रति एकड़ जरबेरा से 15-20 लाख रुपये की बचत हो सकती है. किसान मोइनुद्दीन कहते हैं कि जरबेरा फूल की औसत कीमत प्रति फूल 5 रुपये है. हालांकि उनके फूल थोक में बिकते हैं और दाम कभी-कभी कम और अधिक हो जाता है.

एक एकड़ के पॉली हाउस में 25 हजार तक जरबेरा के पौधे लगते हैं जबकि एक पौधा साल भर 35 से 40 फूल देता है. इससे उन्हें लाखों की कमाई हो जाती है. वही उन्होंने कहा कि ग्लेडियोलस फूल की एक एकड़ खेती में चार से पांच महीने के अंदर एक से डेढ़ लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा हो जाता है. स्थापना और रख-रखाव के सवाल पर उन्होंने कहा कि एक पॉली हाउस बनाने में करीब 60 लाख का खर्च आता है, जिसमें सरकार 50 फीसदी सब्सिडी देती है. एक बार पौधा लगाने के बाद पांच से छह साल तक फूल मिलते रहते हैं.

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कोराना काल में हिम्मत नहीं हारी 

मोइनुद्दीन ने किसान तक को कोरोना काल की चुनौतियों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि करीब दो साल तक फूल बर्बाद हो गए. सजावट में फूलों का इस्तेमाल नहीं किया गया क्योंकि कोरोना महामारी के कारण लगे प्रतिबंधों से कोई समारोह नहीं हुआ. ऐसे में फूल नहीं बिके. लेकिन चुनौतियों के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और स्थिति में सुधार होने के बाद फिर धीरे धीरे अपने फूलों की खेती में गति दे रहे हैं. अब बेहतर आमदनी होने लगी है. आज जिले के किसान मोइनुद्दीन को अपना रोल मॉडल मानते हैं और अब फूलों की खेती के कारण जिले में करीब 15 से 20 पॉली हाउस बन चुके हैं. 

मोइनुद्दीनजरबेरा की खेती से लाखों की आमदनी कर रहें हैं
मोइनुद्दीन जरबेरा की खेती से लाखों की आमदनी कर रहें हैं.

गांव में रुकने लगी है ट्रेन

दिल्ली-मुंबई  सहित मेट्रो सिटी में ग्लेडियोलस फूल और जरबेरा के फूलों की मांग रहती है. इससे अब विभिन्न विदेशी फूलों की खेती हो रही है. इससे उन्हें और भी अधिक उत्पादन हो रहा है और गांव के बाहर उनके फूलों की मांग बढ़ गई है. उनके फूलों को दिल्ली तक पहुंचाने के लिए भारतीय रेलवे ने विशेष ठहराव देने का फैसला किया है, जिससे किसान अब अपने उत्पाद को आसानी से बाजार में पहुंचा सकते हैं.

राष्ट्रपति-पीएम तक ने किया सम्मान

मोइनुद्दीन ने बातचीत के दौरान बताया कि जब उन्होंने विदेशी फूलों की खेती शुरू की, तो वह पूरे बाराबंकी जिले में एकमात्र किसान थे. कुछ समय बाद किसान उनसे जुड़ने लगे और समय-समय पर बाराबंकी के 2000 से 2500 किसान उनके साथ जुड़े हैं. वे किसान जो पहले खेती में पैसा नहीं बचा पा रहे थे, वे आज लाखों रुपये बचा पा रहे हैं. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मोइनुद्दीन से काफी प्रभावित हुए और उन्हें सम्मानित भी किया है. देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भी मोइनुद्दीन की सराहना कर चुके हैं. मोइनुद्दीन ने बताया कि जब पूरा गांव फूलों की खेती करने लगा, तो सभी मिलकर काम कर रहे थे. उन्होंने ग्रामीणों के अनुरोध पर 10 वर्षों तक ग्राम प्रधान के रूप में भी सेवा दी है.

 

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