पराली के धुएं की धुंध में डूबी दिल्ली आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच उलझी हुई है. इसी बीच 7 तारीख को अयोध्या के बैती कला गांव में हुए एक हादसे ने सीधे उत्तर प्रदेश सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं. दरअसल हैदरगंज थाना क्षेत्र के बैती कला गांव में धान की पराली जलाते समय एक बुजुर्ग किसान आग की चपेट में आ गया. आग में झुलसे किसान की दर्दनाक मौत ने यूपी में पराली जलाने की घटना को न सिर्फ सार्वजनिक कर दिया है, बल्कि इसकी रोक के लिए बनाए तंत्र की हकीकत भी बता दी है. दरअसल, अयोध्या के हैदरगंज थाना क्षेत्र का बैती कला गांव में मंगलवार को दोपहर के लगभग 2 बजे के करीब 60 वर्षीय किसान राम गोविंद मौर्य अपने खेत में अकेले धान की पराली जला रहे थे, तभी यह घटना घटी.
बताया जाता है कि मौर्य दमा और गठिया रोग से पीड़ित थे. यही कारण था कि पराली जलाते समय जब वह लड़खड़ा कर जलती हुई पराली पर गिरे तो फिर तेजी से उठकर भाग नहीं सके. पराली में लगी आग तेजी से खेत में फैली और उसकी चपेट में आकर किसान गंभीर रूप से जल गया और उसकी मौत हो गई. इस घटना की जानकारी पाकर पहुंचे उसके परिजनों ने पुलिस को सूचना दी और उसके बाद पहुंची पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.
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मृतक किसान राम गोविंद मौर्य के दो पुत्र और दो पुत्रियां हैं. अपने द्वारा ही लगाई गई आग में जलकर हुई मौत के बाद किसान के घर में कोहराम मच गया है. मौके पर गए पुलिस क्षेत्राधिकारी राजेश तिवारी कह रहे हैं कि इस मामले की जांच-पड़ताल कराई जा रही है. मगर क्या इस बात की भी जांच होगी कि जब पराली जलाने पर रोक है, तो किसान अपने खेतों में पराली कैसे जला रहे हैं.
कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ पराली जलाने पर रोक लगाने वाली एजेंसियां इसको लेकर इतनी निष्क्रिय क्यों हैं? घर वालों के साथ हैदरगंज थानाध्यक्ष मोहम्मद अरशद का कहना है कि खेत में कूड़ा जलाते समय यह हादसा हुआ. ग्राम प्रधान अनिल सिंह कहते हैं कि कूड़े की आग ने बगल के खेत की पराली में आग पकड़ ली जिसे बुझाने की कोशिश में राम गोविंद की मौत हो गई. इन अलग-अलग दावों के बीच सवाल राज्य सरकार पर भी उठे हैं कि इस तरह के मामलों में लीपापोती कर जिम्मेदार विभाग और अधिकारी क्या क्लीनचिट पाते रहेंगे या उनकी जवाबदेही तय की जाएगी.
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