देश के किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़ नकदी फसलों की खेती की और तेजी से रुख कर रहे हैं. उसमें सब्जी की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है. ऐसी ही एक सब्जी है जिसकी खेती किसान साल में तीन बार कर सकते हैं. इस सब्जी का नाम है जुकिनी. ये एक ऐसी सब्जी है जो फाइबर और न्यूट्रिशन से भरी होती है. इसमें सभी जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं. बता दें कि जुकिनी एक तरह की तोरी होती है लेकिन इसका रंग, आकार और बाहरी हिस्सा कद्दू के जैसा होता है.
साथ ही जुकिनी आमतौर पर हरे और पीले रंग की होती है. जुकिनी को अलग-अलग राज्यों में तोरी, तुरई और नेनुआ जैसे नामों से भी जाना जाता है. इसका इस्तेमाल सब्जी और सलाद के तौर पर किया जाता है. इसकी खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद है.
जुकिनी विदेशों में उगाई जाने वाली एक कद्दू वर्गीय फसल है. ब्रोकली की तरह ही जुकिनी भी कैंसर के लिए फायदेमंद सब्जी है. यहां तक कि इसमें पोटेशियम के साथ-साथ विटामिन-A और विटामिन-C जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. वहीं ये सब्जी डायबिटीज और पेट के रोगों के लिए दवा के रूप में कारगर होता है. जुकिनी फसल की खेती साल में तीन बार की जा सकती है. अक्टूबर से फरवरी तक पहली, फरवरी से अप्रैल दूसरी और अप्रैल से अगस्त तक तीसरी फसल उगाई जा सकती है.
जुकिनी की बेहतर उत्पादन के लिए बलुई दोमट मिट्टी बेहतर माना जाता है. फसल की बुवाई से पहले जुकिनी की बीज को कार्बोडाइजम, ट्राइकोडर्मा और थिरम केमिकल दवा से बीज का उपचार किया जाना चाहिए. इसके पौधे लहरनुमा होते हैं. जुकिनी की रोपनी बीज के माध्यम से की जाती है. एक बीघा जमीन से 1600 से 1800 तक बीज लगाया जा सकता है.
इसके खेती में खाद और दवाई की कोई खास खर्च नहीं आती है. इसकी खेती में आप प्रति बीघा एक किलो यूरिया और एक किलो डीएपी के साथ जैविक खाद का उपयोग कर सकते हैं. अधिक ठंड और कुहासा पड़ने पर उपज प्रभावित होती है.
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