इस वर्ष बारिश के कारण दलहन फसल तुअर को बड़े पैमाने पर नुकसान होने के कारण उत्पादन में कमी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. इसलिए बाजार में तुअर की आवक कम होगी. इस बीच मौजूदा साल में केंद्र सरकार किसानों से बाजार मूल्य पर 8 से 10 लाख टन तुअर खरीद सकती है. कम उत्पादन की वजह से तुअर का भाव 11 हजार रुपये क्विंटल तक पहुंचने का अनुमान है. इसलिए बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि बेहतर होगा कि किसान तुअर बेचने में जल्दबाजी न करें. सरकार चुनाव से पहले सभी कृषि वस्तुओं की कीमतें कम करने की कोशिश कर रही है. लेकिन तुअर दाल का उत्पादन इतना कम है कि इसकी कीमतें कम करने की कोशिश बेकार हो जा रही है.
अब केंद्र सरकार खुले बाजार में तुअर खरीदने की तैयारी कर रही है. हालांकि, सरकार कितनी खरीदेगी इसका कोई निश्चित आंकड़ा सामने नहीं आया है. बस अनुमान लगाया जा रहा है. केंद्रीय सहकारिता विभाग ने पहले कहा था कि खरीद का लक्ष्य 8 से 10 लाख टन है. स्वाभाविक तौर पर अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार कितनी खरीदारी करेगी. बाजार समितियों में इस समय तुअर की कीमत 9 हजार रुपये प्रति क्विंटल से अधिक मिल रही है. इसे और बढ़ने का अनुमान है.
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केंद्र सरकार ने तुअर दाल की बढ़ती कीमत पर काबू पाने के लिए तुअर का आयात किया था. इससे कीमतों में नरमी आई और दालों की कीमतें गिर गईं. कुछ जगहों पर यह 130 रुपये किलो रह गई. जिससे आम उपभोक्ता को राहत मिली है. लेकिन दूसरी ओर अरहर उत्पादकों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है. क्योंकि आयात की वजह से उन्हें उतना दाम नहीं मिला जितना कि बिना आयात के मिलता. आयात न होता तो उन्हें ज्यादा दाम मिलता.
NAFED और NCCF द्वारा सरकार के लिए बाजार मूल्य पर तुअर खरीदने की संभावना है. यदि इस वर्ष ऐसा होता है, तो गारंटीशुदा कीमत भले ही 7 हजार रुपये है, लेकिन किसानों को 'नेफेड' से बाजार मूल्य मिलेगा. खुले बाजार की समीक्षा के बाद नेफेड प्रतिदिन अपनी कीमतों की घोषणा करेगा. व्यापारी प्रवीण साबू के अनुसार केंद्र सरकार खुले बाजार में तुअर खरीदने को तैयार है. इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि अगले कुछ दिनों में तुअर दाल की कीमत 11 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच जाएगी. ऐसे में किसानों के लिए उचित होगा कि वे तुअर बेचना अभी बंद कर दें, ताकि उन्हें सही समय पर अच्छा दाम मिल सके.
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