Kanpur News: बदलते मौसम का सबसे ज्यादा प्रभाव किसानों पर पड़ता है. वहीं बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि के कारण किसानों के खेतों में पड़ी फसलें तबाह हो जाती है. ऐसे में अन्नदाता किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. इसी कड़ी में किसानों के लिए एक राहत भरी खबर कानपुर से आई है. कानपुर का चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में एक क्लाइमेट स्मार्ट बीज (Climate Smart Seeds) को तैयार किया जा रहा हैं, उनमें किसी भी तरह के मौसम का असर नहीं पड़ेगा. साथ ही किट मकोड़ों का भी फसल पर असर ना हो. कम पानी के साथ उत्पादन अधिक हो. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर आनंद सिंह ने किसान तक से खास बातचीत में बताया कि एक ऐसी फसल तैयार करने पर शोध हो रहा है, जो क्लाइमेट स्मार्ट हो.
इसके लिए यहां पर 27 ऐसी प्रजातियों को विकसित किया जा रहा है, जो क्लाइमेट स्मार्ट के साथ अधिक पोषण तत्व वाली हैं. बीमारियों से रहित है. यह कम पानी और कम समय में तैयार होने वाली फसल होगी. उन्होंने बताया कि ये ऐसे बीज होंगे, जिन्हें तैयार होने में पानी भी कम लगेगा. इन सभी प्रजातियों का यहां पर वैज्ञानिक मूल्यांकन कर रहे हैं, जिसमें उन्हें काफी सफलता मिल रही है. आने वाले समय में जो बीज सबसे अधिक प्रभावशाली होंगे, उन्हें देश के विभिन्न राज्यों में भेजा जाएगा. वहां पर देश के किसान इन बीजों को अपनी जमीनों पर उगाएंगे और गेहूं की नई प्रजातियां विकसित होगी. डॉक्टर आनंद सिंह ने बताया कि 27 में से 3 प्रजातियों को विकसित करने भारत सरकार की सस्था ICAR-Indian Institute of Seed Science द्वारा रिलीज भी किया जा चुका है, बाकी पर प्रकिया चल रही है.
आपको बता दें कि कानपुर कृषि विश्वविद्यालय देश के सबसे बड़े कृषि विश्वविद्यालय में से एक है. इतना ही नहीं, इस कृषि विश्वविद्यालय की भूमिका हरित क्रांति के दौर की है. जब हरित क्रांति आई थी, तब चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के फार्मिंग सेंटर में तरह-तरह की खास फसल तैयार की गई थी. जिनके बीजों को मेक्सिको भेजा गया था. ऐसे में एक बार फिर गेंहू की खेती करने वाले किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा तो होगा, वहीं उनकी फसलें अब बेमौसम बारिश, पाला और सूखे की चपेट में बर्बाद नहीं होगी. गौरतलब है कि बीते दिनों हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टी से प्रदेश के कई जिलों के किसानों की फसलें बर्बाद हो गई थीं. बता दें कि राज्य में ओलावृष्टि और बारिश के कारण सरसों, मटर, मसूर, गेहूं, चना आदि फसलों को नुकसान हुआ था.
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