भारत में काबुली चना (सफेद चना) का उत्पादन इस साल बढ़ने की संभावना है. ऊंची कीमतों पर सवार होकर किसानों ने मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में रकबा बढ़ाया है. जबकि रकबा बढ़ गया है, अगले कुछ हफ्तों में मौसम की स्थिति फसल का आकार तय करेगी. व्यापार सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा, अगले महीने के रमज़ान से पहले निर्यात भी अच्छा रहा है. इस साल देश के सभी प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में काबुली चना की खेती में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में क्षेत्रों में वृद्धि देखी गई है.
अंतराराष्ट्रीय कृषि कमोडिटी ब्रोकरेज हाउस, मयूर ग्लोबल कॉरपोरेशन में बिक्री के उपाध्यक्ष, हर्ष राय ने इस बारे में और जानकारी दी. उन्होंने बताया कि किसानों ने इस वर्ष की फसल के लिए अपनी बुआई बढ़ाकर, ऊंची कीमतों का जवाब दिया है, जो कि रुपए 150 प्रति किलोग्राम के आसपास रिकॉर्ड ऊंचाई पर है. इसके अलावा, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काबुली चने की मांग पिछले साल उल्लेखनीय थी, जिसने कीमतों में वृद्धि में योगदान दिया.
फसल क्षेत्र और स्थिति अच्छी दिख रही है, अगले कुछ हफ्तों में मौसम फसल के आकार की कुंजी है. राय ने बताया कि मध्य भारत, जो बड़े पैमाने पर चने की खेती के लिए जाना जाता है, ने कम मानसूनी बारिश का असर महसूस किया है. जबकि दिसंबर सामान्य से अधिक गर्म था, जनवरी ठंडा तापमान लेकर आया. आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि मध्य भारत की फसल से किस तरह की पैदावार देखने को मिलेगी क्योंकि आईएमडी ने इस क्षेत्र के लिए आगे फरवरी के गर्म रहने का अनुमान लगाया है.
ऑल इंडिया दाल मिल्स एसोसिएशन के मुताबिक किसानों ने काबुली चना के तहत क्षेत्र का विस्तार किया है. पिछले साल के अधिकांश समय में कीमतें 100 रुपए प्रति किलोग्राम से ऊपर अच्छी थीं. उन्होंने कहा, परिणामस्वरूप, इस वर्ष उत्पादन अधिक होगा. इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन की मानें तो क्षेत्रफल बढ़ने से इस साल काबुली चना की फसल बड़ी होगी.
यह भी पढ़ें- पूसा ने एक साल में विकसित की 30 नई वैराइटी, धान-गेहूं में यहीं की किस्मों का दबदबा
हालांकि देश में काबुली चना के उत्पादन पर कोई आधिकारिक डेटा नहीं है, व्यापार सूत्रों का अनुमान है कि यह लगभग 3.5 लाख टन है। सरकार द्वारा काबुली चने की उत्पादन संख्या को चने की फसल के अनुमान के साथ जोड़ा जाता है. भारत काबुली चना का निर्यात और आयात करता है.
डीजीसीआईएस आंकड़ों के अनुसार, भारत ने अप्रैल-नवंबर के दौरान 68654 टन काबुली चना का निर्यात किया. इसकी कीमत 816.72 करोड़ रुपए थी. साल 2022-23 के दौरान निर्यात 1.21 लाख टन था, जिसका मूल्य 1,200 करोड़ रुपए था. भारत जिन देशों को काबुली चने का निर्यात करता है, उनमें तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं. चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-अक्टूबर के दौरान, काबुली चने का आयात 72,060 टन था, जिसका मूल्य 518.72 करोड़ रुपए था.
इस साल रमज़ान की जल्दी शुरुआत के कारण इस साल कीमतें स्थिर बनी हुई हैं. बाजार विशेषज्ञों की मानें तो आम तौर पर दिसंबर, जनवरी और फरवरी के महीनों के दौरान, काबुली चना की कीमतों में गिरावट देखी जाती है क्योंकि नई फसल की कटाई फरवरी के मध्य में शुरू होती है. यह अवधि पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ी हुई स्टॉक तरलता की विशेषता है. हालांकि यह साल इस प्रवृत्ति का अपवाद था और इन महीनों के दौरान कीमतों में उम्मीद के मुताबिक कमी नहीं आई.
यह भी पढ़ें-
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today