केन्या पूर्वी अफ्रीका का एक छोटा सा देश है जहां के लोग खेती पर बहुत अधिक निर्भर हैं. यहां डेयरी फार्मिंग के अलावा मक्के की खेती बहुतायत में होती है. किसान दूध और मक्का बेचकर सालभर का अपना खर्च निकालते हैं. ऐसे में आपके मन में एक सवाल यह हो सकता है कि क्या वहां भी मक्के की खेती भारत की तरह ही होती है. या उसमें कुछ बदलाव रहता है. तो आइए हम छह स्टेप्स में जानते हैं कि केन्या में मक्के की खेती कैसे होती है.
मक्के की बुआई के लिए खेत की जुताई कर उसे तैयार करते हैं. खेत तैयार करने के बाद मेढ़ बनाई जाती है. मेढ़ से मेढ़ के बीच की दूरी 60 से 90 सेमी होती है. उस मेढ़ पर मक्के का बीज 20-30 सेमी की दूरी पर बोया जाता है. बुआई से पहले खेत की अच्छे ढंग से जुताई जरूरी है. फिर उसमें ऑर्गेनिक खाद और अन्य खाद सही मात्रा में मिलाई जाती है.
कुछ दिनों बाद मक्के के पौधे निकलने लगते हैं. जब पौधे में छह से आठ पत्ते निकल आएं तो उसमें खाद दिया जाना चाहिए. खादों में वैसे फर्टिलाइजर का प्रयोग किया जाता है जिनमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम की अधिक मात्रा हो. ये सभी खाद पौधों पर डाले जाते हैं जबकि नाइट्रोजन के पौधे के अगल-बगल में छिड़का जाता है.
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पौधे जब बढ़वार पर हों तो सिंचाई का बहुत ध्यान रखना पड़ता है. नहीं तो पौधों के सूखने का खतरा रहता है. केन्या में हफ्ते में एक बार मक्के की सिंचाई की जाती है. हालांकि बारिश होती है तो हफ्ते में एक बार सिंचाई करने की कोई जरूरत नहीं होती.
पौधे का अच्छा विकास हो, इसके लिए समय-समय पर खर-पतवार नियंत्रण करना भी जरूरी है. केन्या में मक्का बुआई के पहले छह हफ्ते में खर-पतवार नियंत्रण का काम बहुत गंभीरता से किया जाता है. इसके लिए हाथ से खर-पतवार उखाड़े जाते हैं या उन्हें नष्ट करने के लिए हर्बीसाइड डाला जाता है.
जिस तरह खर-पतवार नियंत्रण जरूरी है, उसी तरह कीटों का प्रबंधन भी बहुत जरूरी है. कीटों को नहीं रोकें तो वे पत्ते चट कर जाते हैं और पौधे में कुछ नहीं बचता. समय-समय पर पौधे पर कीटों का प्रयोग देखना होता है. कीटों को मारने या रोकने के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाता है.
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मक्के की कटाई तब की जाती है जब बालियां पूरी तरह से पक जाती हैं. इसकी पहचान ये होती है कि जब बालियां पककर पीली पड़ जाती हैं और उसके अंदर के दाने तोड़ने पर सख्त मालूम पड़ते हैं. इससे पता चलता है कि फसल कटाई का सही वक्त आ गया है. केन्या में इसके बाद मक्के की कटाई शुरू कर दी जाती है. मक्के की खेती का यही अंतिम स्टेप होता है.
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