चप्पन कद्दू एक गर्म मौसम की फसल है. इसके फल अलग-अलग आकार, आकृति और रंगों में आते हैं. यह विटामिन ए, कैल्शियम और फास्फोरस का एक समृद्ध स्रोत है. इसे पॉलीहाउस, ग्रीनहाउस और नेट हाउस में उगाया जा सकता है. इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं. जैसे कि यह शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है, यह अस्थमा के रोगियों, हृदय रोगियों, आंखों, त्वचा रोगों और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है. इसमें रोगाणुरोधी, एंटीसेप्टिक और एंटीफंगल गुण होते हैं. इन्हीं कारणों की वजह से चप्पन कद्दू की मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि कैसे किसान चप्पन कद्दू की खेती कर अच्छी कमाई कर सकते हैं.
चप्पन कद्दू की खेती से अधिक मुनाफा कमाने के लिए उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है और कद्दू की खेती से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है. पूसा पसंद एक अच्छी किस्म है. पूसा अलंकार चप्पन कद्दू की एक जल्दी और अधिक उपज देने वाली संकर किस्म है. इसके पौधे झाड़ीनुमा और फल 20-25 सेमी लम्बे, गहरे रंग और हल्की धारियों वाले होते हैं. चप्पन कद्दू की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है. खेत की तैयारी के समय 4 टन सड़ी गोबर की खाद डाल देनी चाहिए. इसकी बुवाई दिसम्बर माह में पूरी कर लेनी चाहिए. एक एकड़ में बुवाई के लिए 1.5 से 2 किलोग्राम बीज पर्याप्त होते हैं. चप्पन कद्दू की बुवाई उठी हुई क्यारियों के किनारे और 80 सेमी की दूरी पर करनी चाहिए. एक स्थान पर 2-3 बीज बोएं. अंकुरण के बाद एक स्थान पर एक ही पौधा रखें.
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जनवरी से मार्च के मध्य और अक्टूबर से नवंबर (संरक्षण के तहत) बुवाई के लिए उपयुक्त महीने हैं. बुवाई के लिए प्रत्येक स्थान पर दो बीज बोएं और 45 सेमी की दूरी का उपयोग करें. बीज को 2.5-3.5 सेमी की गहराई पर बोना चाहिए. गड्ढा खोदने की विधि का उपयोग किया जाता है.
बुवाई से पहले बीजों को 12-24 घंटे पानी में भिगोएं. इससे अंकुरण प्रतिशत बढ़ता है. मिट्टी जनित फफूंद से बचाव के लिए बीजों को बुआई से पहले कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम या थिरम 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें. रासायनिक उपचार के बाद ट्राइकोडर्मा विरिडे 4 ग्राम या स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें.
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एक एकड़ खेत में बुवाई के समय 60 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 17 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश तथा 22 किलोग्राम यूरिया फसल में डालना चाहिए. शेष नाइट्रोजन के लिए 20 किलोग्राम यूरिया खड़ी फसल में डालना चाहिए. फसल की बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई इस प्रकार करें कि नालियों में पानी आधी सतह तक पहुंच जाए. पहली सिंचाई के 4-5 दिन बाद दूसरी सिंचाई करें. फूल और फल आने के समय भी सिंचाई करनी चाहिए. निराई-गुड़ाई करके खरपतवार निकाल दें. चप्पन कद्दू में 2 और 4 पत्तियों की अवस्था पर 10 मिली. इथ्रेल 50% रसायन को 20 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव किया जाता है, जिससे निचली गांठ पर अधिक मादा फूल आते हैं और फल भी जल्दी आते हैं, जिससे पैदावार बढ़ती है. फलों की पहली तुड़ाई बुवाई के 40 से 50 दिन बाद की जाती है. फलों को उनकी अपरिपक्व अवस्था में ही तोड़ लेना चाहिए. चप्पन कद्दू से प्रति एकड़ औसतन 40 से 50 क्विंटल उपज प्राप्त होती है.
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