भारत सरकार ने शुक्रवार को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध को तुरंत हटाने का ऐलान कर दिया है. सरकार की तरफ से एक नोटिफिकेशन में इस बात की जानकारी दी गई है. सरकार के आदेश में विस्तृत तौर पर बताया गया है कि उसने यह फैसला क्यों लिया. सरकार ने जुलाई 2023 में घरेलू चावल की आपूर्ति को सुरक्षित करने और कीमतों को स्थिर करने के लिए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. अब इस फैसले का निर्यातकों ने स्वागत किया है और गेम चेंजर करार दिया है.
निर्यातकों की मानें तो सरकार का नया फैसला कृषि उद्योग के लिए 'गेम-चेंजर' बताया है. राइस विला के सीईओ सूरज अग्रवाल ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से इस फैसले की अहमियत के बारे में विस्तार से बात की. उन्होंने कहा, 'गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने का भारत का साहसिक फैसला कृषि क्षेत्र के लिए गेम-चेंजर है.' उन्होंने आगे कहा कि इस कदम से निर्यातकों की आय में वृद्धि होने तथा नई खरीफ फसल के आने पर किसानों को ज्यादा फायदा मिलने की उम्मीद है.
प्रतिबंध हटाने के अलावा, सरकार ने चावल के निर्यात बाजार को और अधिक बढ़ावा देने के उद्देश्य से, उबले चावल पर निर्यात शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है. हलदर समूह के एक प्रमुख निर्यातक केशव कुमार हलदर ने सरकार के इस तुरंत एक्शन के लिए आभार जताया है. वह निर्यात प्रतिबंध को तुरंत हटाने की अपील करते आ रहे थे. अब उन्होंने इस फैसले की सराहना करते हुए इसे उद्योग के लिए सकारात्मक कदम बताया.
देश में चावल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर 20 जुलाई, 2023 से प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके अलावा, सरकार ने उबले चावल पर 20 फीसदी निर्यात कर अनिश्चित काल तक लागू रखने का फैसला किया है. भारत सरकार के इस फैसले से नेपाल, सेशेल्स, मलेशिया, फिलीपींस, कैमरून, कोट डी आईवरी और गिनी रिपब्लिक को फायदा होने की उम्मीद है. पिछले साल आए इस आदेश का कई देशों ने विरोध किया था. भारत की तरफ से लगाए गए निर्यात प्रतिबंध के बाद अमेरिका जैसे देशों में चावल महंगा हो गया था.
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