सरकार द्वारा गठित कपास उत्पादन और उपभोग समिति (सीसीपीसी) ने निर्यात और खपत का अनुमान बढ़ाते हुए चालू सीजन में सितंबर तक फसल अधिक होने का अनुमान लगाया है. सीसीपीसी ने चालू सीजन (अक्टूबर 2023-सितंबर 2024) के लिए फसल उत्पादन बढ़ाकर 323.11 लाख गांठ (प्रत्येक 170 किलोग्राम) कर दिया है, जबकि नवंबर 2023 में अनुमानित 316.57 लाख गांठ थी. पिछले सीजन में, फसल 336.60 लाख गांठ आंकी गई थी. खास बात यह है कि कपास उत्पादन अनुमान 29 फरवरी को जारी कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुरूप है.
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, चालू सीजन (अक्टूबर 2023-सितंबर 2024) के लिए आयात को 12 लाख गांठ पर अपरिवर्तित बनाए रखते हुए, इसने पिछले सीजन के लिए देश में शिपमेंट 14.6 लाख गांठ (10 लाख गांठ) का अनुमान लगाया है. शुरुआती स्टॉक 61.16 लाख गांठ (पहले 64.08 लाख गांठ) आंके जाने के साथ, चालू सीजन के लिए कुल आपूर्ति 396.27 लाख गांठ ( पहले 392.65) होने का अनुमान लगाया गया है.
बता दें कि सीसीपीसी, देश में कपास की स्थिति का जायजा लेने के लिए साल में दो बार बैठक करती है. इसने पिछले सीजन के 15.89 लाख गांठ के मुकाबले इस सीजन में निर्यात बढ़कर 27 लाख गांठ होने का अनुमान लगाया है. नवंबर में, सलाहकार निकाय ने देश से बाहर शिपमेंट 25 लाख गांठ होने का अनुमान लगाया था. व्यापार सूत्रों के अनुसार, इंटरकॉन्टिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई), न्यूयॉर्क में कीमतों में उछाल और घरेलू कीमतें आईसीई वायदा के मुकाबले कम कीमत पर बोली जाने के बाद भारतीय कपास की मांग बढ़ी है. वर्तमान में, ICE मई कपास वायदा लगभग 93.33 अमेरिकी सेंट प्रति पाउंड ( 61,125 रुपये प्रति कैंडी 356 किलोग्राम) पर चल रहा है.
राजकोट में, निर्यात के लिए बेंचमार्क शंकर-6 किस्म की कीमत 61,500 रुपये प्रति कैंडी है. सीसीपीसी ने छोटे स्पिनरों और गैर-कपड़ा सहित, 317 लाख गांठ की खपत का अनुमान लगाया है, जबकि इसके पहले का अनुमान 310 लाख गांठ था. समिति ने कैरीओवर स्टॉक का अनुमान पहले के 57.65 लाख गांठ से घटाकर 52.27 लाख गांठ कर दिया है.
वहीं, कुछ देर पहले खबर सामने आई थी प्रमुख कपास उत्पादक महाराष्ट्र की कई मंडियों में इसका दाम पहली बार 8000 रुपये प्रति क्विंटल के पार हो चुका है. जबकि केंद्र सरकार ने लंबे रेशे वाले कॉटन का एमएसपी 7020 रुपये जबकि मध्यम रेशे वाले की एमएमपी 6620 रुपये क्विंटल तय किया है. इस बार उत्पादन कम होने की वजह से दाम बढ़ने का अनुमान है. हलांकि 2021-22 की तरह दाम 14 हजार रुपये क्विंटल तक जाने का अनुमान नहीं है. फिर भी दाम बढ़ने की वजह से किसानों ने राहत की सांस ली है. ज्यादातर मंडियों में रेट एमएसपी से ज्यादा हो चुका है.
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