देश से सोयामील का निर्यात लगातार बढ़ रहा है. इसकी वजह से पूरे ऑयलमील निर्यात में तेजी देखी जा रही है. यहां ऑयलमील का अर्थ है ऑयल सीड मील केक या खली जो कि प्रोटीन से भरपूर होता है और पोल्ट्री-मवेशियों के दाने में इस्तेमाल होता है. ऑयलमील को ऐसे भी समझ सकते हैं कि तिलहन के दाने से तेल निकलने के बाद जो खली बचती है, उसे ही ऑयलमील या ऑयल सीड मील केक (खली) कहा जाता है. इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, इसलिए निर्यात भी बहुतायत में होता है. हाल के दिनों में भारत से इसका तेजी से निर्यात बढ़ा है. इसमें सबसे प्रमुख है सोयामील का निर्यात.
सॉलवेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) का आंकड़ा बताता है कि भारत ने अप्रैल 2023 में 4.93 लाख टन सोया खली का निर्यात किया जबकि ठीक एक साल पहले इसी अवधि में 3.32 लाख टन खली का निर्यात हुआ था. निर्यात में बढ़ोतरी के पीछे सबसे खास वजह सोयाबीन के दाम में आई गिरावट है. अभी इसका रेट 4550 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है जो पिछले साल अप्रैल में 7640 रुपये प्रति क्विंटल हुआ करता था. एसईए के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता 'बिजनेसलाइन' से कहते हैं, सोयाबीन के दाम में गिरावट से पिछले सात महीने में खली का निर्यात तेजी से बढ़ा है. इससे सोयाबीन किसानों को फायदा हो रहा है क्योंकि उनकी पैदावार बड़ी मात्रा में खरीदी जा रही है.
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रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2023 में भारत ने 1.77 लाख टन खली का निर्यात किया. पिछले साल इसी अवधि में भारत ने 24,937 टन खली का निर्यात किया था. दक्षिणपूर्व एशिया के कई देश भारत से खली का आयात करते हैं जिनमें बांग्लादेश, वियतनाम और नेपाल आदि के नाम हैं. दक्षिणपूर्व एशिया के इन देशों में भारत से खली और सोयाबीन के प्रोडक्ट का निर्यात ढुलाई के लिहाज से सुविधाजनक है. इन देशों में खली का निर्यात कम में हो जाता है क्योंकि भारत ये सभी देश नजदीक हैं. अभी डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर चल रहा है, इससे भी निर्यात में तेजी देखी जा रही है.
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सोयाबीन की तरह सरसों की खली का भी निर्यात तेजी से बढ़ा है. इसकी वजह भी यही है कि देश में सरसों का उत्पादन बंपर हुआ है और सरसों की पेराई भी तेजी से हो रही है. 2022-23 में भारत ने लगभग 23 लाख टन सरसों की खली का निर्यात किया जो कि अभी तक का रिकॉर्ड है. भारत से खली का निर्यात दक्षिण कोरिया, वियतनाम, थाइलैंड और अन्य पूर्वी देशों को किया जाता है. अभी देसी और विदेशी मार्केट में खाद्य तेलों की मांग बहुत तेजी से गिरी है जिसकी वजह से भारत में सरसों का रेट एमएसपी से नीचे चला गया है.
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