बिहार के मिथिला मखाना की मांग सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि पूरे देश में है. जब से मिथिला मखाना को जीआई टैग से सम्मानित किया गया है, तब से पूरी दुनिया में मिथिला मखाना की मांग बढ़ रही है. बढ़ती मांग की वजह से मखाना की खेती करने वाले किसानों को अच्छा मुनाफा भी हो रहा है. वहीं, इन दिनों मखाना की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर सामने आ रही है. आपको बता दें कि पिछले 6 महीने में मिथिला मखाना की कीमत दोगुनी हो गई है.
छह महीने पहले तक स्थानीय बाजारों में 600 रुपये प्रति किलो मिलने वाला मखाना अब 1200 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है. बता दें कि 20 अगस्त 2022 को मखाना को 'मिथिला मखाना' के नाम से जीआई टैग मिला था. तब से इसकी बिक्री बढ़ने लगी. लेकिन पिछले छह महीने में मखाना की कीमत दोगुनी होने से स्थानीय लोग भी हैरान हैं. सामान्य मखाना की कीमत पिछले छह महीने में 600 रुपये से बढ़कर 1200 रुपये प्रति किलो हो गई है. थोक में यह 1150 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. खबरों के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, रूस जैसे देशों में मखाना की मांग काफी बढ़ गई है. यूरोपीय देशों में लोग इसे 'सुपर फूड' के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. मखाना में मौजूद औषधीय गुणों और एंटी-ऑक्सीडेंट के कारण उन देशों के लोग मोटापा कम करने के लिए इसे वैकल्पिक आहार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.
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जीआई टैग मिलने के बाद मखाना को लेकर वैश्विक स्तर पर जागरूकता फैल रही है. अमेरिका में भी मखाना की मांग तेजी से बढ़ रही है. अमेरिका में मखाना की कीमत लगभग आठ हजार रुपये प्रति किलो है. पिछले पांच सालों में बिहार में मखाना का उत्पादन दोगुना हुआ है, लेकिन मांग 10 गुना बढ़ गई है.
जिस तालाब में इसे उगाया जाता है, उसकी सबसे पहले अच्छी तरह सफाई की जाती है, फिर बीजों का छिड़काव किया जाता है, यह सुनिश्चित किया जाता है कि बीज एक दूसरे से बहुत दूरी पर न लगें, पौधे की सुरक्षा करनी होती है और अंत में मखाना के बीज निकाले जाते हैं. जिस तालाब में एक बार मखाना उगाया गया है, उसमें दोबारा बीज डालने की जरूरत नहीं होती क्योंकि पिछली फसल से नए पौधे उग आते हैं. सबसे बड़ी समस्या पके हुए बीजों को पानी की सतह के ऊपर और पानी के अंदर से निकालने में होती है. यह काम प्रशिक्षित लोग ही कर सकते हैं क्योंकि यह काम कमर तक पानी में उतरकर करना पड़ता है. इसके लिए मछुआरों की मदद ली जाती है. बीज निकालने के बाद उन्हें सुखाया जाता है और फिर इसे मखाना निकाला जाता है.
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