पहाड़ी किसानों के लिए वरदान है बेहमी की खेती, कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में है भारी मांग

पहाड़ी किसानों के लिए वरदान है बेहमी की खेती, कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में है भारी मांग

बेहमी की खेती उन किसानों के लिए एक बेहतरीन अवसर है जो कम लागत में अधिक लाभ कमाना चाहते हैं. यह न केवल एक लाभदायक फल है, बल्कि इससे स्थानीय रोजगार, स्वास्थ्य और पर्यावरण को भी लाभ होता है. सरकार और शोध संस्थानों को इस पारंपरिक फसल को बढ़ावा देना चाहिए ताकि पहाड़ी क्षेत्रों का आर्थिक विकास तेजी से हो सके.

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पहाड़ी किसानों के लिए वरदान है बेहमी की खेती, कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में है भारी मांगबेहमी की खेती

बेहमी, जिसे स्थानीय भाषा में 'रेग' या 'तिब्बती आड़ू' भी कहा जाता है, एक पारंपरिक फलदार प्रजाति है जो मुख्य रूप से हिमालयी क्षेत्रों और ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाकों में पाई जाती है. इसका वैज्ञानिक नाम Prunus mira है. यह पौधा मुसकिल जलवायु, कम उपजाऊ मिट्टी और सीमित पानी में भी आसानी से उगाया जा सकता है. इसी वजह से यह कम संसाधनों वाले क्षेत्रों के लिए बेहद लाभकारी फसल मानी जाती है.

कहां उगाई जाती है बेहमी?

बेहमी की खेती मुख्य रूप से 2000 से 4000 मीटर की ऊँचाई वाले इलाकों में होती है. यह पौधा ठंडी जलवायु में पनपता है और ज्यादा देखभाल की ज़रूरत नहीं होती. लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर राज्यों में इसकी खेती का अच्छा संभावनाएं हैं.

खेती के वैज्ञानिक तरीके

हाल के वर्षों में वैज्ञानिकों ने बेहमी की खेती को बेहतर बनाने के लिए कुछ तकनीकों को अपनाने की सलाह दी है, जैसे:

  • ग्राफ्टिंग (कलम लगाना)
  • बडिंग (कली जोड़ना)
  • मल्चिंग (जड़ों को ढकना ताकि नमी बनी रहे)
  • परागण प्रबंधन (pollination management)

इन तकनीकों से फल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में बढ़ोतरी होती है.

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बेहमी के फल से बनने वाले उत्पाद

बेहमी का फल स्वादिष्ट होता है और इससे कई प्रकार के उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं:

  • अचार
  • जैम (मुरब्बा)
  • रेगु राक (पारंपरिक पेय पदार्थ)

इन सभी उत्पादों की स्थानीय और बाहरी बाजार में अच्छी मांग है, जिससे किसानों को ज्यादा मुनाफा मिल सकता है.

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बेहमी के बीज और तेल की मांग

बेहमी के बीजों से तेल निकाला जाता है, जो औषधीय गुणों से भरपूर होता है. यह तेल:

  • त्वचा संबंधी समस्याओं में लाभकारी है,
  • कॉस्मेटिक उत्पादों (जैसे क्रीम और लोशन) में प्रयोग होता है,
  • आयुर्वेदिक दवाओं में भी उपयोग किया जाता है.

इसकी मांग देश और विदेश के हर्बल और ब्यूटी इंडस्ट्री में बढ़ती जा रही है.

स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार का साधन

बेहमी के प्रसंस्करण (Processing) और बाजार तक पहुंचाने की प्रक्रिया में स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकता है. महिलाएं घर पर ही जैम, अचार, तेल आदि बनाकर घरेलू उद्योग शुरू कर सकती हैं. इससे गांवों में आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलता है.

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