असम की पहली बाढ़ ने ली फसलों की जान! जोरहाट के गांव में किसानों की आंखों में आंसू, खेत बने तालाब

असम की पहली बाढ़ ने ली फसलों की जान! जोरहाट के गांव में किसानों की आंखों में आंसू, खेत बने तालाब

Assam Flood: असम की बाढ़ ने किसानों का सबकुछ बर्बाद कर दिया है. इस बार के बाढ़ ने 12 हजार हेक्टेयर से अधिक इलाके में बर्बादी पहुंचाई है जिससे 14 हजार के आसपास किसान प्रभावित हुए हैं. किसानों की धान की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है.

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Ground Report: असम की पहली बाढ़ ने ली फसलों की जान! किसानों की आंखों में आंसू, खेत बने तालाबअसम के बाढ़ ने फसलों को किया बर्बाद

असम में मॉनसून की दस्तक के साथ ही बाढ़ की विभीषिका ने एक बार फिर से जनजीवन को प्रभावित करना शुरू कर दिया है. राज्य के अलग-अलग हिस्सों में लगातार बारिश के चलते ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. इस विनाशकारी स्थिति का सबसे बुरा असर जोरहाट जिला स्थित टियोक के जाजीमुख क्षेत्र में खासकर भकत गांव में देखा जा रहा है. यहां साल की पहली ही बाढ़ ने सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न कर दी है. असम में बाढ़ हर साल की त्रासदी बन चुकी है, लेकिन ग्रामीण इलाकों के किसान अब भी पर्याप्त सुरक्षा और राहत इंतजामों से वंचित हैं. जाजीमुख क्षेत्र में अब तक कोई सरकारी सर्वेक्षण या राहत वितरण नहीं हुआ है, जिससे प्रभावित किसान खुद को बेसहारा महसूस कर रहे हैं.

भकत गांव की तस्वीर देखें तो पता चलेगा कि जहां तक नजर जाती है, वहां केवल बाढ़ का पानी ही नजर आ रहा है. एक किसान ने 'आजतक' को बताया कि खेतों में कमर तक पानी लग गया है जिससे फसलें पूरी तरह से डूब गई हैं. इससे किसानों की आंखों में आंसू हैं क्योंकि उनके अरमानों पर पानी फिर गया है. किसान ने अपने खेत की फसलों को दिखाया और बताया कि किस तरह से बाढ़ के पानी ने सबकुछ जलमग्न कर दिया है. इससे फसलों के अलावा मवेशियों के लिए भी परेशानी बड़ गई है क्योंकि उनके लिए चारे की भी समस्या देखी जा रही है.

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बाढ़ ने किसानों के अरमानों पर फेरा पानी

जांजीमुख के भकत गांव के निवासियों का कहना है कि यह क्षेत्र कृषि प्रधान इलाका है और यहां के लोगों की मूल आजीविका कृषि है. किसान धान और साग सब्जी उगाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. साथ ही बच्चों की शिक्षा का खर्च भी वहन करते हैं. मगर अचानक आई बाढ़ ने किसानों का सबकुछ डूबा दिया है और अपने परिवार के पालन के साथ बच्चों की चिंता किसानों को सताने लगी है. असम में लगभग हर साल यही सिलसिला देखा जा रहा है जिसमें बाढ़ से किसानों को नुकसान भुगतना पड़ता है. इस साल की बात करें तो पूरे असम में 12 हजार हेक्टेयर से अधिक फसल का नुकसान हो सकता है जबकि 14 हजार किसान प्रभावित हैं.

धान को सबसे अधिक नुकसान

असम में अभी धान का सीजन है और धान के पौधों में बालियां आ गई हैं. मगर बाढ़ के पानी ने पौधों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है क्योंकि खेत में पानी अधिक लगने से फसल को नुकसान होता है. किसानों ने इन पौधों को काट लिया है जिसमें साफ देखा जा सकता है कि किस तरह धान की फसल को बाढ़ के पानी ने बर्बाद किया है. पूरी फसल पूरी तरह से पीली पड़ गई है क्योंकि खेत में अधिक दिनों तक पानी ठहर जाए तो पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और बालियां भी खराब होने लगती है. धान कुछ दिनों में तैयार होने वाला था, मगर उसके पहले ही बाढ़ के पानी ने उसे डुबा दिया है.

असम में आहू धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है जिसे गरमा सीजन में रोपा जाता है. इस धान की कुछ ही दिनों में कटाई होने वाली थी. आहू धान को अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है बल्कि कम पानी में यह तैयार हो जाता है. लेकिन बाढ़ के पानी ने पौधों को पूरी तरह से डूबा दिया जिससे फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है.

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बाढ़ ने सबकुछ किया बर्बाद

धान के पौधों को काटकर किसानों ने उसके छोटे-छोटे गट्ठर बनाए हैं ताकि उसे धूप में सुखाकर कुछ धान निकाला जा सके. धान की गठरियों को एक किसान ने सुखाते हुए बताया कि बाढ़ ने किस तरह से उसकी पूरी फसल को बर्बाद कर दिया है. जो धान उनका पेट भरने के लिए खेत से निकलना चाहिए था, अब उसी धान का पौधा चारे लायक भी नहीं बचा. किसान उन पौधों को काटकर सुखाने की कोशिश में लगे हैं ताकि कुछ फायदा हो सके. पूरे भकत गांव की बात करें तो कई किसान हैं जो माथे पर हाथ धरे बैठे हैं कि जब बाढ़ के पानी में सबकुछ सूख गया तो आगे उनका पेट कैसे भरेगा और मवेशियों का चारा कहां से आएगा.(पूर्ण बिकास बोरा की रिपोर्ट)

 

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