हरियाणा सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद शुरू कर दी है और 46,000 मीट्रिक टन से अधिक फसल की खरीद की जा चुकी है. मंगलवार शाम को जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, धान की खरीद 27 सितंबर से शुरू हुई थी. बयान में कहा गया है कि अब तक राज्य भर में 241 मंडियों और खरीद केंद्रों से 46,000 मीट्रिक टन (एमटी) से अधिक धान की खरीद की जा चुकी है, जिससे 7,500 से अधिक किसानों को फायदा हुआ है
बयान में कहा गया है कि मंगलवार तक अकेले लगभग 1,200 मीट्रिक टन धान का उठाव किया गया. बयान के अनुसार, इसके अलावा, सरकार किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित कर रही है, जिसके तहत 2 करोड़ रुपये सीधे उनके बैंक खातों में वितरित किए गए हैं. मंगलवार से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरे की खरीद भी शुरू हो गई है. राज्य सरकार ने इस उद्देश्य के लिए विशेष रूप से 91 मंडियां और खरीद केंद्र खोले हैं, जहां राज्य के किसानों से 25,000 क्विंटल से अधिक बाजरा खरीदा जा चुका है.
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द बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, बयान में कहा गया है कि खरीद प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है और 15 नवंबर तक जारी रहेगी. बयान में कहा गया है कि हरियाणा सरकार अपने किसानों के आर्थिक हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और पूरे सीजन में निर्बाध और कुशल खरीद प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी.
वहीं, पंजाब में धान की किस्म पीआर-126 के नकली और हाइब्रिड बीजों की बिक्री एक बार फिर सुर्खियों में है. इससे शैलर संचालक काफी नाराज बताए जा रहे हैं. उन्होंने ताजा उपज का भंडारण करने से इनकार कर दिया है. यह निर्णय चावल मिलर्स की आम सभा की बैठक के बाद लिया गया. अखिल भारतीय चावल मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तरसेम लाल ने कहा कि पिछले साल हाइब्रिड किस्म का धान बोया गया था, लेकिन टूटे हुए दाने का प्रतिशत 30 से 45 प्रतिशत तक था.
मिलिंग के बाद चावल की उपज केवल 100 किलोग्राम धान पर लगभग 62 किलोग्राम थी, जबकि मिलर्स को अपने साथ 67 प्रतिशत धान का स्टॉक पहुंचाना था. यदि उपज कम है, तो मिलर्स को नुकसान की भरपाई करनी होगी. तरसेम लाल ने कहा कि इस सीजन में भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ेगा. इसलिए, पीआर-126 किस्म के भंडारण का बहिष्कार करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है.
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