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मोगा जिले की मंडियों में पहुंचा 4 लाख टन गेहूं, जानें अभी तक कितनी उपज की हुई खरीद

मोगा जिले की मंडियों में पहुंचा 4 लाख टन गेहूं, जानें अभी तक कितनी उपज की हुई खरीद

मोगा के डिप्टी कमिश्नर कुलवंत सिंह ने आज कई मंडियों का दौरा किया और कहा कि अब तक जिले की मंडियों में 4,09,558 मीट्रिक टन गेहूं की आवक दर्ज की गई है, जिसमें से 3,74,195 मीट्रिक टन की खरीद की जा चुकी है और 1,61,879 मीट्रिक टन का उठान किया जा चुका है.

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मोगा जिले में गेहूं खरीद में तेजी. (सांकेतिक फोटो) मोगा जिले में गेहूं खरीद में तेजी. (सांकेतिक फोटो)

पंजाब के मोगा जिले में गेहूं खरीद का सीजन जोरो पर है. जमीनी स्तर पर कई बाधाओं के बावजूद, जिला प्रशासन यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है कि खरीद प्रक्रिया सुचारू रूप से जारी रहे और किसानों को मंडियों में किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े. इस समय मोगा जिले की मंडियों में जहां गेहूं की आवक बढ़ गई है, वहीं इसकी खरीद, उठान और भुगतान में भी तेजी आई है. इस रबी सीजन में जिले की मंडियों में 6.94 लाख मीट्रिक टन गेहूं की आवक के लक्ष्य के मुकाबले 4.09 लाख मीट्रिक टन की आवक हो चुकी है.

मोगा के डिप्टी कमिश्नर कुलवंत सिंह ने आज कई मंडियों का दौरा किया और कहा कि अब तक जिले की मंडियों में 4,09,558 मीट्रिक टन गेहूं की आवक दर्ज की गई है, जिसमें से 3,74,195 मीट्रिक टन की खरीद की जा चुकी है और 1,61,879 मीट्रिक टन का उठान किया जा चुका है. उन्होंने लिफ्टिंग पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि पिछले साल की तुलना में इस साल मंडियों में कम लिफ्टिंग की स्थिति पैदा हुई थी, लेकिन अब यह पूरी तरह नियंत्रण में है. अब, प्रतिदिन 30,000 मीट्रिक टन से अधिक का उठाव किया जा रहा है, जो पिछले वर्ष के औसतन 27,287 मीट्रिक टन प्रतिदिन के रिकॉर्ड से कहीं अधिक है.

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खुले आसमान के नीचे पड़े हैं आनाज

वहीं, भटिंडा जिले की मंडियों में अच्छी व्यवस्था नहीं है. बीते दिनों हुई बारिश ने जिला प्रशासन की खराब तैयारी को उजागर कर दिया, क्योंकि किसानों को अनाज मंडियों में अपनी गेहूं की फसल को ढकने के लिए खुद ही तिरपाल की व्यवस्था करनी पड़ी. ग्रामीण क्षेत्रों में खरीद केंद्रों पर शेड की कमी के कारण गेहूं के ढेर खुले आसमान के नीचे ही पड़े हुए हैं. ऐसे में बारिश होने पर गेहूं की बोरियां मंडियों में भीग रही हैं. वहीं, किसानों ने कहा कि मंडी बोर्ड और जिला प्रशासन उनकी फसल की सुरक्षा के इंतजाम करने में विफल रहे है. उन्होंने कहा कि यदि शेड नहीं तो प्रशासन को उपज को ढकने के लिए तिरपाल की चादरों की व्यवस्था करनी चाहिए थी.

क्या कहते हैं किसान नेता

बीकेयू (यू) के जसवीर सिंह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में खरीद केंद्रों पर तिरपाल शीट की कोई व्यवस्था नहीं है. यहां तक कि खरीदे गए गेहूं के बैग भी खुले में पड़े हैं. मनसा जिले के भैनी बाघा गांव के गोरा सिंह ने कहा कि अनाज बाजारों में व्यवस्था करना अधिकारियों की जिम्मेदारी है. वर्षों से चीजें वैसी ही बनी हुई हैं.

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