Cow Dung Paint: दिवाली से पहले गोबर पेंट से रंगीन होंगे मथुरा के गांव, जानिए कीमत और खूबियां

Cow Dung Paint: दिवाली से पहले गोबर पेंट से रंगीन होंगे मथुरा के गांव, जानिए कीमत और खूबियां

डीपीआरओ ने बताया कि गोबर पेंट की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ी हैं. कई ग्रामीणों ने इस दिवाली अपने घरों की रंगाई पुताई के लिए गोबर से बनी प्राकृतिक पेंट का इस्तेमाल कर रहे है. क्योंकि यह पूरी तरह से बैक्टीरिया मुक्त है.

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Cow Dung Paint: दिवाली से पहले गोबर पेंट से रंगीन होंगे मथुरा के गांव, जानिए कीमत और खूबियांबेहद खास है गोबर पेंट

Cow Dung Paint: दीपावली का त्यौहार आने वाला है. भारतीय संस्कृति में इस त्यौहार की तैयारियों में साफ-सफाई और लिपाई-पुताई का विशेष महत्व है. बाजार में उपलब्ध रासायनिक पेंट लोगों के जेब के साथ-साथ स्वास्थ्य पर भी असर डालती है. इसी कड़ी में यूपी के मथुरा में इस बार कई गांवों में घरों को रंगने के लिए गोबर से बनी प्राकृतिक पेंट का इस्तेमाल कर रहे है. यह बाजार में मिलने वाले डिस्टेंपर से काफी सस्ता है. मथुरा में पार्वती स्वयं सहायता समूह द्वारा तैयार गोबर पेंट की बड़ी खेप फैक्टरी से बाहर निकल आई है. 

इस मामले में किसान तक से बातचीत में मथुरा जिले की डीपीआरओ किरन चौधरी ने बताया कि पेंट की कीमत 50 रुपये प्रति लीटर से 90 रुपये प्रति लीटर निर्धारित की गई है. पेंट की खेप विकास खंडों तक ले जाने की जिम्मेदारी खंड विकास अधिकारियों को सौंपी गई है. पंचायत भवनों में रंगाई के लिए गोबर पेंट का उपयोग किया जाएगा. इसके अलावा ग्राम पंचायतों और विकास खंडों में ग्रामीणों को गोबर पेंट की खूबियां बताईं जाएंगी. 

उन्होंने बताया कि फैक्ट्री में बाकी बचे 1500 लीटर पेंट की भी जल्दी ही बिक्री करवाई जाएगी. वहीं स्वयं सहायता समूह से जुड़ी भगवान देवी ने बताया कि फैक्टरी में मौजूद संसाधनों की मदद से तीन हजार लीटर पेंट तैयार किया है. पेंट की बिक्री से मिलने वाली धनराशि हाथ में आने के बाद और पेंट बनाया जाएगा.

उद्घाटन समारोह में मथुरा के जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह, सीडीओ मनीष मीना और ग्रामीण
उद्घाटन समारोह में मथुरा के जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह, सीडीओ मनीष मीना और ग्रामीण

डीपीआरओ किरन चौधरी ने आगे बताया कि बीते दिनों इस गोबर पेंट का इस्तेमाल करने से पहले एक डेमो सीडीओ मनीष मीना जी द्वारा करवाया गया था. जहां पेंट बारिश में भी जल्दी खराब नहीं होगा. वहीं अगर दीवार पर कुछ दाग और धब्बा लग जाए, तो फौरन पानी डालकर साफ किया जा सकता है. डीपीआरओ ने बताया कि गोबर पेंट की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ी हैं. कई ग्रामीणों ने इस दिवाली अपने घरों की रंगाई पुताई के लिए गोबर से बनी प्राकृतिक पेंट का इस्तेमाल कर रहे है. क्योंकि यह पूरी तरह से बैक्टीरिया मुक्त है.

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उन्होंने बताया कि मथुरा के सभी पंचायत भवनों पर इस पेंट को लगाया जा रहा है. ये गुणवत्ता के मामले में बाजार में मिलने वाले पेंट से कम नहीं है, इसलिए इस पेंट की डिमांड बढ़ गई है. डीपीआरओ किरन चौधरी ने बताया कि गांव से लेकर शहर तक इस गोबर पेंट के इस्तेमाल को लेकर बहुत तेजी से प्रचार प्रसार किया जा रहा है. उधर, सरकारी भवनों के अलावा आम लोगों के बीच भी इस पेंट की मांग बढ़ रही है. मथुरा के कई गांवों में भी बहुत से लोग इस पेंट से अपने घरों की पुताई कर रहे हैं.

ऐसे तैयार होता है गोबर से प्राकृतिक पेंट

गोबर को पहले मशीन में पानी के साथ अच्छे से मिलाया जाता है, फिर इस मिले हुए घोल से गोबर के फाइबर और तरल को डी-वाटरिंग मशीन के मदद से अलग किया जाता है. इस तरल को 100 डिग्री सेल्सियस में गरम कर के उसका अर्क बनता है, जिसे पेंट के बेस की तरह इस्तेमाल किया जाता है. इसके बाद इसे प्रोसेस कर पेंट तैयार होता है. 100 किलो गोबर से लगभग 10 किलो सूखा सीएमसी तैयार होता है. कुल निर्मित पेंट में 30 फीसदी मात्रा सीएमसी की होती है.

गोबर पेंट के 8 हैं फायदे

इस पेंट के आठ प्रकार के लाभ है, यानी आठ प्रकार के प्राकृतिक लाभ है. यह पेंट दीवारों के लिए एक आदर्श सुरक्षा कवच बनता है. जलरोधक और टिकाऊ होता है. यह पेंट उपयोग के 4 घंटे बाद सूख जाता है, तथा BIS मानकों द्वारा प्रमाणित है. फिलहाल इस यूनिट में गांव के लोगों को रोजगार दिया गया है. आसपास के गांव से गाय के गोबर की भी खरीदारी की जा रही है, जिससे पशुपालकों को भी लाभ पहुंच रहा है. एक लीटर पेंट बनाने में करीब 30 से 40% गाय के गोबर का उपयोग होता है.

 

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