बरसीम रबी सीजन की फलीदार चारा फसल है. इसे चारा फसल का राजा कहा जाता है. डेयरी पशुपालकों के लिए यह चारा किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि इसे खिलाने से दुधारू पशुओं का दूध बढ़ता है और मुनाफा बढ़ता है. पशु इस हरे चारे को स्वाद के चलते बहुत पसंद करते हैं, जो स्वास्थ्य और तंदरुस्ती के लिए भी बहुत अच्छा होता है. देश के कई राज्यों में इस चारा फसल की व्यावसायिक खेती की जाती है. बाजार में भी इसकी मांग बनी रहती है. ऐसे में जानिए बरसीम की किस्मों के बारे में और ये कहां उगाई जाती है.
बुंदेल बरसीम-5 वैरायटी के पौधे की पत्तियां चौड़ी होती हैं. पत्तियों से तने का अनुपात उच्च होता है. इसके बीज आकार में मोटे होते हैं. इसके पौधे में फूल देर से आते हैं और यह फसल भी देर से ही पकती है. इसे 2021 में व्यावसायिक खेती के लिए जारी किया गया था. बुंदेल बरसीम-5 वैरायटी पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, झारखंड, बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और ओडिशा सहित भारत के उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में के लिए उपयुक्त है. बुंदेल बरसीम-5 की जड़ सड़न, पत्ती के धब्बे और पत्ती झुलसा रोग को मध्यम रूप से सहने में सक्षम हैं. इसकी पत्तियां पतझड़ी कीटों के प्रति मध्यम प्रतिरोधी हैं. यह कपास की इल्ली के प्रति प्रतिरोधी है.
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बुंदेल बरसीम-6 के पौधे का आधार इसकी शाखाएं होती हैं और फूल देर से आते हैं. यह एक बहु कटाई वाली फसल है. इस वैरायटी की बरसीम जड़ सड़न, पत्तियां धब्बे और झुलसा रोग मध्यम रूप से सहने योग्य होती हैं. इसकी पत्तियां पतझड़ के लिए मध्यम प्रतिरोधी और कपास की इल्ली के प्रति प्रतिरोधी है. यह वैरायटी, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, यूपी राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और ओडिशा सहित भारत के उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में व्यावसायिक खेती के लिए उपयुक्त है. बुंदेल बरसीम-6 को 2021 में जारी किया गया था.
जेबीएससी-1 उच्च बीज उत्पादन वाली बरसीम की वैरायटी है. यह भारत में बरसीम की पहली एकल कटाई वाली वैरायटी है. इसके बीज आकार में बड़े, पौधे लंबे, शीर्ष पर शाखाएं, पत्ते चौड़े और गहरे हरे रंग के होते हैं. उच्च अंकुर शक्ति इसकी एक और विशेषता है. इस वैरायटी को वर्ष 2018 में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित मध्य और उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में व्यावसायिक खेती के लिए जारी किया गया था.
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